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  🏹 जय सेवा 🏹 जय फड़ा पेन 🏹 राज करे गोंडवाना 🏹 Jai   Seva  Ja i   Fadaapen    जय   सेवा   जय   फड़ापेन         श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश । अंग बने  राजा  बने , सब उसी के अंग।। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उतपत्ति दियो पाँच गोत्र पांच कुल गुरु 25 पूजन कियो।। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो,समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश(रजोगुणी)    गोत्र: कुम्भ भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: नेताम, टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन: सोमवार और बुधवार ध्वजा का रंग: सफेद गढ़: लांजी गंग वंश को रजोगुण से जोड़कर देखा जाता है। इनकी सफेद ध्वजा पवित्रता और ईश्वर के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। गढ़ लांजी इस वंश का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है। 2. नागवंश (तमोगुणी )   गोत्र: कश्यप, पुलस्त भाइयों की संख्या: 7 भाइयों के नाम: मरइ, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम, सेवता, पंद्ररो, चान्द्रम पूज्य दिन: इतवार और शनिवार ध्वजा का रंग: लाल गढ़: मंड...

देवी दंतेश्वरी: शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक

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  देवी दंतेश्वरी: शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक राजा अन्नमदेव और देवी की स्थापना राजा अन्नमदेव के रुकने से स्थापित हुई देवी दंतेश्वरी की काले ग्रेनाइट से बनी छह भुजाओं वाली प्रतिमा अद्वितीय है। दंतेवाड़ा में स्थित यह षट्भुजी प्रतिमा न केवल अपनी नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता भी विशेष है। मूर्ति के दाएं हाथ में शंख, खड्ग, त्रिशूल और बाएं हाथ में घंटी, पद्य, राक्षस के बाल हैं। माँई का ऊपरी भाग नरसिंह अवतार का स्वरूप प्रदर्शित करता है। उनके सिर पर चांदी का छत्र है और वे वस्त्र व आभूषण से सुसज्जित हैं। मंदिर का वास्तु और संरचना मंदिर के द्वार पर दो द्वारपाल खड़े हैं, जिनके चार हाथ हैं। उनके बाएं हाथ में सर्प और दाएं में गदा है, और वे वरद मुद्रा में हैं। सिंह द्वार, जो 21 स्तंभों से युक्त है, इसकी पूर्व दिशा में दो सिंह विराजमान हैं। गर्भगृह में सिले हुए वस्त्र पहनकर प्रवेश प्रतिबंधित है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने गरुड़ स्तंभ है। यहां भगवान गणेश, विष्णु, शिव आदि की प्रतिमाएं भी विभिन्न स्थानों पर स्थापित हैं, जो इस स्थान की धार्मिक विवि...
 जय सेवा जय फड़ापेन श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश। अंग बने राजा बने, सब उसी के अंग। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उत्पत्ति दियो। पाँच गोत्र, पाँच कुल गुरु, 25 पूजन कियो। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो। समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश (रजोगुणी) गोत्र: कुम्भ भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: नेताम, टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन: सोमवार, बुधवार ध्वजा: सफेद गढ़: लांजी 2. नागवंश (तमोगुणी) गोत्र: कश्यप पुलस्त भाइयों की संख्या: 7 भाइयों के नाम: मरई, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम, सेवता, पंद्ररो, चांद्रम पूज्य दिन: रविवार, शनिवार ध्वजा: लाल गढ़: मंडला 3. चंद्रवंश (सतोगुणी) गोत्र: पुहुप भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: पोर्रे, पडोटी, पदाम, चचाम, कनेलकर पूज्य दिन: बृहस्पतिवार ध्वजा: हरा गढ़: बैरागढ़ 4. सूर्यवंश (तमोगुणी) गोत्र: कौशल, भारद्वाज, कौशिक, पालेश्वर भाइयों की संख्या: 18 भाइयों के नाम: कोर्राम, कुमार्रा, कतलाम, कुलाम, छेदईहा, अरकरा, कोटा, पायला, कमतरा, मैरा, तितराम, ओटी, नेटी, तुमरेकी, कोड़प्पा, कोटकोटा, छावड पूज्य दिन: मंगलवार ध्वजा: पीला ग...

गोंडी के 12 सूत्र: गोंड जनजाति की समृद्ध विरासत

  गोंडी के 12 सूत्र: गोंड जनजाति की समृद्ध विरासत गोंड जनजाति की संस्कृति और धर्म की गहराई को समझने के लिए गोंडी के 12 सूत्र बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये सूत्र न केवल उनके विश्वासों बल्कि दैनिक जीवन के रीति-रिवाजों को भी दर्शाते हैं। मुख्य बिंदु:  * प्रकृति पूजन: गोंड धर्म प्रकृति के साथ गहरा नाता रखता है।  * स्वतंत्र पहचान: हिंदू धर्म से भिन्न, गोंडों की अपनी विशिष्ट संस्कृति है।  * समानता: जातिगत भेदभाव से मुक्त समाज।  * पूर्वज पूजन: पेन पुरखा को पूजना उनकी परंपरा का हिस्सा है।  * महिला शक्ति: सीतला माता जागारानी महिलाओं का प्रतीक हैं।  * महुआ का महत्व: महुआ का रस धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होता है।  * परिक्रमा की दिशा: दाएं से बाएं की परिक्रमा एक विशेषता है।  * विवाह रीति-रिवाज: दूल्हा-दुल्हन के स्थान का निर्धारण एक परंपरा है।  * दहेज प्रथा का अभाव: विवाह में दी गई सामग्री को सहायता माना जाता है।  * सामूहिक श्रमदान: संस्कारों में पंडितों की जगह सामूहिक भागीदारी होती है।  * घोटुल: शिक्षा और संस्कृति का केंद्र।  * विवाह निय...