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एक खत माहिसासुर की अर्न्तआत्मा से - -

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एक खत माहिसासुर की अर्न्तआत्मा से - - - - -   जय महिषासुर हमारे आदिवासी समाज की संस्कृति में महिलाओं का विशेष स्थान और अधिकार हमेशा सर्वोपरि रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी परंपरा ने महिलाओं को न केवल सम्मानित किया बल्कि उन्हें समाज में समानता का स्थान भी प्रदान किया। आदिवासी समाज ने यह सिद्ध किया है कि महिलाओं के प्रति सम्मान और स्वतंत्रता का विचार हमारे मूल्यों का अभिन्न हिस्सा है। हमारे पूर्वज, जिनके पास साधारण जीवन जीने की परंपरा थी, उनकी संस्कृति में महिलाओं के प्रति इतनी गहरी आदर भावना थी कि उन्होंने कभी किसी का अपमान नहीं किया। बलात्कार जैसी घटनाएं तो दूर, उन्होंने महिलाओं पर हाथ तक उठाने से हमेशा परहेज किया। हमारे महान जननायक माहिषासुर इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। माहिषासुर ने अपने आचरण और मूल्यों से यह साबित किया कि आदिवासी समाज महिलाओं को कितना महत्व देता है, चाहे वह अपना विरोधी ही क्यों न हो। हमारे त्योहार भी इस बात की गवाही देते हैं। उदाहरण के लिए, सोहराय त्योहार, जो एक कुंवारी लड़की के नाम पर सृजित किया गया था, महिलाओं के प्रति सम्मान और समर्पण को दर्शाता...

गोंडी" में पढ़े जाने वाले शब्द "वेन" और "पेन" केवल दो अक्षरों से मिलकर बने सबसे छोटे शब्द हैं, किन्तु इनके ज्ञान गर्भ में छुपे सामाजिक, सांस्कृतिक, आस्था और आध्यात्मिक दर्शन की सीमाएं

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                          सम्पूर्ण गोंडवाना के आदिम वंश, समुदाय "वेन" और "पेन" संस्कृति/ दर्शन का वाहक है. गोंड आदिम समुदाय की निज भाषा "गोंडी" में पढ़े जाने वाले शब्द "वेन" और "पेन" केवल दो अक्षरों से मिलकर बने सबसे छोटे शब्द हैं, किन्तु इनके ज्ञान गर्भ में छुपे सामाजिक, सांस्कृतिक, आस्था और आध्यात्मिक दर्शन की सीमाएं सृष्टि की तरह विशाल और अटल है. "वेन" और "पेन" के सम्बन्ध में समाज के अनेक दार्शनिक, भाषाविद, विज्ञानियों ने विस्तारपूर्वक सार्थक उपदेश दिए हैं, देते हैं, जो अनमोल हैं.                           हम यह मानते हैं कि "गोंडी" के बगैर "गोंड" और "गोंडवाना" को समझना आसान नहीं है. समय की निरंतरता के साथ मानव पीढ़ियों के आने और बीत जाने तथा नयी पीढ़ी की अभिरुचि में कमी के कारण पीढ़ीगत चली आ रही प्राचीन भाषाओं के नैसर्गिक हस्तांतरण के पैतृक विधा का तेजी से विलोपन हो रहा है. इस प्राचीन भाषा के विलोपन के लिए हमारी हर पिछली पीढ़ियाँ जिम्मेदार हैं, ऐसा कहकर हम अप...