तो राक्षस आप भी हो👺!
बैठक में टी.वी. चल रहा था, जिस पर रामायण आ रही थी। रामायण का यह लोकप्रिय धारावाहिक हमेशा से हमारे समाज और परंपराओं का आईना रहा है। मेरे मित्र अशोक यादव बहुत ध्यान से इसे देख रहे थे। जैसे ही एक दृश्य आया, जिसमें भगवान राम किसी राक्षस का वध करते हैं, अशोक यादव मुस्कुराते हुए बोले, "लो हो गया इस दैत्य 'राक्षस' का भी काम तमाम!" उनकी खुशी देखकर मैंने सहज ही पूछा, "अशोक जी, इतना खुश होने की क्या आवश्यकता है?" अशोक जी बोले, "मैं इसलिए खुश हूँ कि राम ने एक राक्षस का अंत कर दिया।" मैंने उनकी ओर देखते हुए कहा, "तो फिर इसमें खुश होने की क्या बात है? राक्षस तो आप भी हो।" मेरी बात सुनकर अशोक यादव हैरान रह गए। थोड़े गुस्से में बोले, "आपने हमें राक्षस क्यों कहा? हम राक्षस थोड़े ही हैं!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "अशोक जी, आप ही नहीं, बल्कि आपका बेटा भी राक्षस है।" अब तो अशोक जी गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने कहा, "हम आपकी इज्जत करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप हमारी सरेआम बेइज्जती करेंगे।" मैंने गंभीर...