गोंडी धर्म के 12 नियम।
गोंडी के 12 सूत्रों के बारे में बता रहे हैं ⇨
1. गोंड का प्राकृतिक धर्म गोंडी हैं ।
2. गोंड का कोई भी रीति रिवाज दूसरो से नहीं मिलता हैं ।
3. हिन्दू व्यवस्था में ब्राहमण,क्षत्रिय वेश्य, शूद्र हैं गोंड में नहीं।
4. हिन्दू के पितर गोंड के भीतर पेन पुरखा माई घरो में होता हैं।
5. ग्राम प्रमुख माता जिम्मेदारिन गोंडी बोली में सीतला माता जागारानी कहलाती हैं।
6. हमारे पेन पुरखा में खून की सेवा, महुआ फूल का रस चढ़ता हैं दूसरो में नहीं।
7. धरती पृथ्वी की परिक्रमा दायें से बाएं होता हैं गोंड आदिवासियों के सभी भांवर मड्ई पेन दांग जतरा लग्न दायाँ से बायाँ ही होता हैं।
8. शादी में लड़की बायाँ और लड़का दाहिना में और लग्न में भी दुल्हा आगे और लड़की पीछे होती हैं।
9. माता पिता द्वारा विवाह में लड़की को दिया गया सामान नवगृहस्ती के लिए सहयोग होता हैं समझौता नहीं यह दहेज़ व्यवस्था में नहीं आएगा।
10. जन्म, विवाह, मृत्यु सभी संस्कार श्रमदान द्वारा सम्पन्य होता हैं पंडित द्वारा नहीं।
11. घोटुल अर्थात गो+टूल गो का अर्थ गोंगो अर्थ क्लेश निवारण शक्ति विद्या और टूल मतलब टिकाना | गोटुल ज्ञान और संस्कृति का प्राकृतिक केंद्र है ।
12. एक मंडप (गोत्र) के भाई आपस में रिश्ता तय नहीं करते हैं,विवाह हेतु दूसरे मंडप से रिश्ता तय करके शादी किया जाता हैं...
1. गोंड का प्राकृतिक धर्म गोंडी हैं ।
2. गोंड का कोई भी रीति रिवाज दूसरो से नहीं मिलता हैं ।
3. हिन्दू व्यवस्था में ब्राहमण,क्षत्रिय वेश्य, शूद्र हैं गोंड में नहीं।
4. हिन्दू के पितर गोंड के भीतर पेन पुरखा माई घरो में होता हैं।
5. ग्राम प्रमुख माता जिम्मेदारिन गोंडी बोली में सीतला माता जागारानी कहलाती हैं।
6. हमारे पेन पुरखा में खून की सेवा, महुआ फूल का रस चढ़ता हैं दूसरो में नहीं।
7. धरती पृथ्वी की परिक्रमा दायें से बाएं होता हैं गोंड आदिवासियों के सभी भांवर मड्ई पेन दांग जतरा लग्न दायाँ से बायाँ ही होता हैं।
8. शादी में लड़की बायाँ और लड़का दाहिना में और लग्न में भी दुल्हा आगे और लड़की पीछे होती हैं।
9. माता पिता द्वारा विवाह में लड़की को दिया गया सामान नवगृहस्ती के लिए सहयोग होता हैं समझौता नहीं यह दहेज़ व्यवस्था में नहीं आएगा।
10. जन्म, विवाह, मृत्यु सभी संस्कार श्रमदान द्वारा सम्पन्य होता हैं पंडित द्वारा नहीं।
11. घोटुल अर्थात गो+टूल गो का अर्थ गोंगो अर्थ क्लेश निवारण शक्ति विद्या और टूल मतलब टिकाना | गोटुल ज्ञान और संस्कृति का प्राकृतिक केंद्र है ।
12. एक मंडप (गोत्र) के भाई आपस में रिश्ता तय नहीं करते हैं,विवाह हेतु दूसरे मंडप से रिश्ता तय करके शादी किया जाता हैं...
गोंडी धर्म के 12 सूत्र ( विस्तृत रूप )
गोंड का प्राकृतिक धर्म गोंडी है— यह प्रकृति आधारित जीवन शैली और आस्थाओं का मूल है। गोंडी धर्म में प्रकृति और पेन पुरखों की पूजा का विशेष महत्व है।
गोंड का कोई भी रीति-रिवाज दूसरों से नहीं मिलता है— गोंडी परंपराएँ, रीति-रिवाज और जीवन शैली विशिष्ट और अनूठी हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती हैं।
गोंड में जाति व्यवस्था का अभाव— गोंड समाज में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र जैसी कोई भी जातिगत भेदभाव नहीं होता। सभी समानता और सामूहिकता के आधार पर एक साथ रहते हैं।
पेन पुरखा की पूजा— हिंदू समाज में पितरों की पूजा होती है, लेकिन गोंड समाज में पेन पुरखा और माई की पूजा घरों में होती है। पेन पुरखा उनके पूर्वजों और उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ग्राम प्रमुख माता की भूमिका— ग्राम की जिम्मेदारी संभालने वाली माता को गोंडी बोली में ‘सीतला माता जागारानी’ कहा जाता है। यह ग्राम समुदाय की सामूहिकता और मातृसत्ता के महत्व को दर्शाता है।
खून और महुआ फूल की सेवा— पेन पुरखा की सेवा में खून का प्रतीकात्मक दान और महुआ फूल का रस चढ़ाया जाता है। यह अनुष्ठान गोंड धर्म की अनूठी विशेषता है।
प्राकृतिक ध्रुवों की परिक्रमा— धरती और प्रकृति के नियमों का अनुसरण करते हुए, गोंड समाज के सभी धार्मिक अनुष्ठान जैसे भांवर, मंडई, पेन दांग, और जतरा दायें से बायें की परिक्रमा में होते हैं।
विवाह में अनुशासन और पद्धति— शादी में लड़की बायें और लड़का दायें स्थान पर होता है। विवाह के दौरान दुल्हा आगे और लड़की पीछे चलती है। यह परंपरा गोंडी रीति-रिवाजों की विशिष्टता को दर्शाती है।
दहेज प्रथा का निषेध— विवाह में माता-पिता द्वारा लड़की को दिया गया सामान नवगृहस्थी के लिए सहयोग स्वरूप होता है। इसे दहेज के रूप में नहीं देखा जाता। गोंड समाज में दहेज प्रथा का कोई स्थान नहीं है।
सामूहिक श्रमदान का महत्व— जन्म, विवाह और मृत्यु के सभी संस्कार सामूहिक श्रमदान के माध्यम से सम्पन्न होते हैं। इन अनुष्ठानों में पंडित की आवश्यकता नहीं होती। यह सामुदायिकता और परस्पर सहयोग को दर्शाता है।
घोटुल की परंपरा— घोटुल का अर्थ है ‘गो + टूल’। ‘गो’ का अर्थ है गोंगो यानी क्लेश निवारण शक्ति व विद्या, और ‘टूल’ का अर्थ है टिकाना। घोटुल गोंड समाज के युवाओं के लिए शिक्षा और संस्कृति का प्राकृतिक केंद्र है।
मंडप के भाई-बहनों में विवाह का निषेध— एक ही मंडप (गोत्र) के भाई-बहनों के बीच विवाह नहीं किया जाता। विवाह के लिए दूसरे मंडप से रिश्ता तय किया जाता है, जिससे समाज की सामाजिक संरचना और गोत्र की पवित्रता बनी रहती है।
गोंडी धर्म और इसके मूल्य
गोंडी धर्म केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह गोंड समाज की सांस्कृतिक और नैतिक धरोहर का प्रतीक है। इसमें प्रकृति, सामूहिकता, और समानता के सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
संस्कारों का सामुदायिक महत्व
गोंड समाज में सभी अनुष्ठान श्रमदान और सामूहिकता पर आधारित होते हैं। यह परंपराएँ समाज में समरसता और सहयोग की भावना को मजबूत करती हैं।
महिलाओं की भूमिका
गोंड समाज में महिलाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। ग्राम की प्रमुख माता, जागारानी की भूमिका हो या विवाह में नवगृहस्थी की व्यवस्था, महिलाओं को विशेष सम्मान दिया जाता है।
प्राकृतिक पूजा और अनुष्ठान
गोंडी धर्म में प्रकृति के तत्वों को पूजा जाता है। महुआ के फूल, पेन पुरखा की पूजा और अन्य प्राकृतिक अनुष्ठान इस बात को दर्शाते हैं कि गोंड समाज प्रकृति के साथ संतुलन और सामंजस्य बनाए रखता है।
निष्कर्ष
गोंडी धर्म के ये 12 सूत्र गोंड समाज की गहन संस्कृति और परंपराओं को समझाने का माध्यम हैं। यह धर्म केवल परंपरा ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है, जो सामुदायिकता, प्रकृति प्रेम और समानता पर आधारित है।
जय सेवा जय बड़ादेव
राज करे गोंडवाना
इसी तरह और भी ज्यादा जानकारी दिजिए
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