गोंडी धर्म और रिश्ते नाते । ~ जय सेवा जय बड़ादेव जय गोंडवाना/ Jai Seva Jai Gondwana

गोंडी धर्म और रिश्ते नाते ।

गोंड धर्म में रिश्ते नाते


समूह के गणों के सरनेम से पता चलते है रिश्ते नाते

गोंड समूह मे 1 से 12 तक पेन(देव) होते है।

हर सरनेम(गोत्र) के अलग अलग पेन(देव) होते है ।

1 से 12 तक की गिनती मे 6 सम संख्या वाले और 5 विषम संख्या वाले गोत्र  (सरनेम ) होते है ।

सम देव

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2 देव,4 देव,6 देव,8 देव,10 देव,12 देव वाले लोग सम गोत्र के कहलाते है और आपस मे भाई बहन लगते है इसलिये इनका आपस मे कोई भी पती पत्नी का सम्बंध नही हो सकता है  ।

विषम देव

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3देव, 5 देव,7 देव,9 देव,11 देव वाले सरनेम(गोत्र) विषम गोत्र के कहलाते है और यह विषम देव वाले भी आपस मे भाई बहन लगते है इसलिये इनमे भी आपस मे कोई  भी पती पत्नी का सम्बंध नही हो सकता है ।

अब तक हमने देखा की 2देव,4 देव,6 देव,8 देव,10 देव,12 देव वाले लोग आपस मे भाई बहन होते है और 3 देव,5 देव,7 देव,9 देव,11 देव वाले लोग भी आपस मे भाई बहन होते है ।
तो आपके मन मे एक सवाल तो जरूर आयेगा की सब भाई बहन है तो शादी किसके साथ करेंगे ?
जवाब🔺👉 2,4,6,8,10,12 जैसे-:
सम देव वाले लोग 3,5,7,9,11 जैसे विषम देव वाले लोगो से शादी कर सकते है,क्यो की सम देव वालो का विषम देव वालो से सोयरे (मेवना-मेवनी ) यानि पति और पत्नी का नाता होता है ।
और विषम देव वालो का भी सम देव वालो से सोयरे का,मेवना-मेवनी का नाता होता है।

इसलिये किसी भी गोंड का सरनेम सुनते ही पता चल जाता है की वो कितने देव वाला होगा और वो आपका भाई लगेगा या मेवना (सोयरा) ।
उसके देव से पता चलता है की वो हमारी बहन लगेगी या मेवनी।

और इसी वजह से राज्यो की सीमा होकर भी गोंड समूह पूरे देश मे भाईचारे और रिश्ते नातो की डोर से बंधा हुवा है और एक है।

ऊपर की व्यवस्था पूरी तरह से कुदरती आधार से बनी हुई है।

हम घर मे बल्ब ऑन करने के लिये बटन दबाते है लेकिन वायर का प्लस माइनस एक दूसरे से ना जुड़े तो घर का बल्ब तक नही जल सकता ।
स्त्री-पुरुष का कुदरती मिलन ना हो तो बच्चा नही जन्म सकता।
वैसे ही सम-विषम देव वालो मे रिश्ता ना हो तो सक्षम,बलाढ्य,और धष्टपुष्ट उत्पत्ती नही हो सकती ।
आज तो विज्ञान भी कहता है की जीन्स बदलने चाहिये,लेकिन यही जीन्स बदलने की बात को अपने समाज मे सम विषम देवो की सोयरीक कहते है और यह सदियो से चला आ रहा है ।
हमे तो अपने पद्धती पे गर्व होना चाहिये की जो पद्धती हम सदियो से पालन कर रहे है उसे आज विज्ञान अपनी भाषा मे सामने ला रहा है।
मतलब हम तो सुपर वैज्ञानिको के वारिस है।

इसीलिये अपने गोत्र (सरनेम ) का और पेनो (देवो )का राज और महत्व समझे और सही कुदरती के राह पर चले ।

पहले के लोग कम से कम 6 फुट या ज्यादा उचे रहते थे और शरीर भी तंदरुस्त,लढ़ाउ बिना बीमारी का रहता था पर आज देखो और सोचो ।
शायद यही वजह है की वो लोग ऊपर की बताई गयी बातो का पालन करते थे ।

लेकिन आज आप अपने कुदरती नियमो का पालन नही कर रहे है,पेन सम है या विषम है ये नही देखते,बहन -भाई से भी शादी कर रहे है और भाई - बहन से  तो ऐसे मे कैसे आपलोगों समाज आगे बढ़ेगा आपलोग ही बताइये ।
शायद इसी वजह से आपके बच्चों  के जन्मते ही पीलिया हो जाता है,और शायद बच्चा बड़ा भी होता है तो उसका उचाई कम रहता है और दुबला पतला रहता है।

यह सब आप टाल भी सकते हो बस अपने कोया पुनेमी कुदरती नियमो को अच्छे चलना सीखो और दुसरो को भी प्रेरित करो तभी हम सभी लोगों  का आदिवासी समाज सुधर पायेगा अन्यथा कभी नही और इसका जिम्मेदार भी खुद हम लोग होंगे ।




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