गोंडवाना गणराज्य और शासक
(1) वृत्तासुर, 2)भारत, 3)शम्बर,
(4)बानासुर, 5)महिसासुर, 6)बंगासुर
(7)महात्मा रावन,
(8)मयासुर गोंडी शिल्पकार,
(9) गढ मंडला के राजघराने:-
1)यदुराय मडावी - 358 ई.
2)माधोसिंग मडावी(पुत्र )-362 ई.
3)जगन्नाथ 'पुत्र '- 395 ई.
4)रघुनाथ 'पुत्र ' - 420 ई.
5)रुद्रदेव - 485 ई.
6)बिहारीसिंह - 512 ई.
7)नरसिंह देव - 543 ई.
8)सुरजभान - 576 ई.
9)वासुदेव - 605 ई.
10)गोपालसिंह -623 ई.
11)भोपालसिंह - 644 ई.
12)गोपीनाथ - 654 ई.
13)रामचंद्र -691ई.
14)सुरताजसिंह - 704 ई.
15)हरिदेव - 733 ई.
16)किसनदेव - 750 ई.
17) जगतसिंह - 764 ई.
18)महासिंह - 773 ई.
19)दुर्जनमाल - 769 ई.
20)जासकरण - 815 ई.
21)प्रतापदिप - 851ई.
22)यशचंद्रा - 875 ई.
23)मनीहरसिंह - 889ई.
24)गोविंदसिंह - 918 ई.
25)रामचंद्र - 2 - 943 ई.
26)करणराज - 964 ई.
27)रतनसेन - 980 ई.
28)कमलनयन - 1001 ई.
29)बिरसिंह - 1031 ई.
30)नरसिंहदेव - 2 - 1038 ई.
31)तिरुभूवन - 1064 ई.
32)पुरुथीराज - 1092 ई.
33)भारतेन्र्द - 1113 ई.
34)मदनसिंह - 1135 ई.
35)उग्रसेन - 1155 ई.
36)रामसिंह - 1191 ई.
37)ताराचंद्र - 1215 ई.
38)उदयसिंह - 1249 ई.
39)भानुसिंह - 1264 ई.
40)भवानीदास - 1280 ई.
41)शिवसिंह - 1292 ई.
42)हरनारायण - 1318 ई.
43)शाबेलसिंह - 1324 ई.
44)रायसिंह - 1353 ई.
45)हादीराय - 1384 ई.
46)गोरखदास - 1421 ई.
47)अर्जुनदास - 1447 ई.
48)संग्रामशाह - 1479 ई से 1529 तक
49)दलपतशाह - 1529 से 1548 ई तक
50)बिरनारायण - 1548 ई.
51)चंद्रशाह (चाचा )- 1549 ई.
52)मधुकरशाह(पुत्र-बिरनारायण )- 1605 ई.
53)प्रेम नारायण (पुत्र ) - 1594 ई.
54)हिरदेशाह (पुत्र ) - 1683 ई.
55)छतरशाह पुत्र - 1676 ई.
56)केशरीशाह पुत्र - 1683 ई.
57)नरेंद्रशाह पुत्र - 1686 ई.
58)महाराजशाह पुत्र - 1740 ई.
59)शिवराजशाह पुत्र - 1751 ई.
60)दुर्जन शाह पुत्र - 1758 ई.
61) निजामशाह - चाचा - 1760 ई.
62)नरहरशाह भतिजा - 1787 ई.
63)सुमेरशाह - पुत्र - 1790 ई. तक राह है।।।।
1548 ई, 50 पिढी तक,
और 1549 ई. से 1790 ई. तक राह.
पर इसी पिढी के शासक
"संग्रामशाह "1479 ई. से 1529 तक इसके बाद "दलपतशाह" 1529 से 1548 ई. मृत्यु के बाद आती है
"महारानी दुर्गावती "1548 से 24 जून 1564 तक राह।।।।
2) देवगढ के राजघराने :-
1)जाटबा खंडात - 1580 से 1620 ई
2)दलशाह - 1620 ई
3)कोकशाह - 1634 ई
4)केशवशाह - 1648 ई
5)दिनदारशाह - 1662 ई
6)बख्त बुलंदशाह - 1686 से 1738 ई तक
7)चांद सुल्तान - 1709 ई
8)वलीशाल - 1735 ई
9)बुरहानशाह - 1738 ई
10)आजमशाह - 1742 से 1751 ई. तक राह।।
3) खेरलागढ के राजघराने :-
1)यजनसेन उईको - सन 70 ई से
2)खेरलाल कुमरा - सन 90 ई
3)शिवनाथ कुमरा -पुत्र -
4)रतनलाल कुमरा -
5)निगपाल कुमरा
6)साजनसिंह कुमरा
7)हिरबासिंह कुमरा
8)भावासिंह कुमरा
9)रघुनाथ कुमरा
10)भैरवनाथ कुमरा, 11)महादेव, 12)चंदनसिंह., 13)गणपाल, 14)नागपाल, 15)सोलेकोमरा, 16)शिवलाल, 17)गरबासिंह,18)हिरबासिंह, 19)बागदियाल, 20)नागदियाल, 21)सिरापोय, 22)केशबाराज, 23)बानाराज, 24)संभुराय, 25)चेवराभूमा, 26)योमनराज, 27)पवनसिंह, 28)राजपालसिंह, 29)गणराज, 30)भगतराज
31)जैतपाक ई. _ 1330 से 1336
32)द्रुगपाल ई, - 1646 से 1650 ई तक राह।।
4) चांदागढ के राजघराने :--
1)भिम बल्लभ सिंह. - सन 879 से 895 ई
2)खुरजा बल्लभ सिंह _ 895 ई
3)हिर सिंह. - 935 ई
4)अन्दिया बल्लाह सिंह - 970 ई
5)तलवार सिंह - 995 ई
6)केशव सिंह - 1027 ई
7)दिनकर सिंह - 1072 ई
8)रामसिंह - 1142 ई
9)सुरज बल्लाल सिंह
शेरशाह बल्लाल शाह - 1207 से 1242 ई
10)खन्डकिया बल्लाल शाह - 1242 ई
11)हिर शाह - 1282 ई
12)भूमा एवं लोक्बा - 1342 ई
13)कोन्दिया शाह - 1402 ई
14)बाबाजी बल्लाल शाह - 1442 ई
15)धुन्दिया राम शाह - 1522 ई
16)कृष्णा शाह - 1597 ई
17)बिर शाह. - 1647 ई
18)राम शाह - 1672 ई
19)निलकण्ठ शाह - सन 1735 से 1751 ई तक।।
(1) वृत्रासुर ⇨
सिंधु घाटी सभ्यता के जनक महाराजा वृत्रासुर का इतिहास अपने आप मे अनूठा है। उनका नाम वास्तव मे था महाराजा वृत्त, उनके नाम के साथ 'असूर' की संज्ञा जोड देना असलियत मे आर्यो की कुटनिती का ही नतीजा है। गोंडवाना गणराज्य के अधिपति थे ' शंभु '। उन्ही के पश्चात बेहद बलशाली एवं प्रतापी राजा बने वृत्तसुर वे सिर्फ प्रतापी मे बल्कि ज्ञान मे भी अव्वल थे। उनके परम आर्य शत्रु थे इन्द्र। महाराजा वृत्त के परम शक्ति का सबूत यही है कि इन्द्र को उन्हे परास्त करने के लिए 99 नगरों को उध्वस्त करना पडा।आर्य लोग उन्हे ' असूर- पुरोहित भी कहते थे तथा ऋग्वेद मे वृत्त को ' देव -शत्रु ' स्वरुप संज्ञा दी गई और जबकि धर्मानंद कोशम्बी के अनुसार वृत्त ' दास' एवं ' दस्य ' के राजा थे।
(2) भारत ⇨ वृत्त के पश्चात प्रतापी राजा भारत हुआ। भारत वृत्त का पुत्र था। इसी भारत के नाम से इस देश का नाम भारत है। बलात्कारी दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम से नही है।।।।।।
(3) शम्बर ⇨ महाराजा भारत के पश्चात प्रबल प्रतापी राजा हुए महाराजा शम्बर। उनके प्रबल प्रताप का हबुत यही है कि ऋग्वेद मे करीब बीस बार उनका जिक्र हुआ और यहाँ तक कि उन्हे ' दानव ' कहा गया। विव्दानो का ऐसा मत है कि उनका राज्य मतानुसार हिमालय की ' कांगड़ा हिल ' महाराजा शम्बर की युध्दभुमि क्षेत्र हि थी। महाराजा शम्बर 91 दुर्गो के अधिपति थे। उनके विर सेनानियों के नाम थे- शुष्ण, वगृत, करंज, पर्णज, पिप्रु, वर्ची। उनका निवास स्थान पर्वत पर था। दिवोदास शम्बर का घातक शत्रु था। इन्द्र की मदद से दिवोदास चालीस वर्षो तक शम्बर से लडता रहा। अंत मे इन्द्र और दिवोदास ने शम्बर के सभी गढो को ध्वस्त कर दिया और उनकी हत्या कर दी। ऋग्वेद मे दिवोदास और शम्बर की शत्रुता का वर्णन किया गया है और इस जगह उन्हे शम्बरासुर, दास, दानव आदी कहकर संबोधित किया गया। जबकि विद्वानों के मतानुसार शम्बर व्यक्ति थे।।।।।
(4) बानासुर ⇨
बानासुर के राज्य मे हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व राजस्थान थे। उन्होंने वृत्तसुर द्वारा पराजित क्षेत्रो को आर्यो से वापस लिया।।।।।।
(5) महिसासुर⇨
महिसासुर अत्यंत बलवान आदिवासी यौध्दा थे, जिनका राज्य पूर्वाचंल क्षेत्रो मे नागालैंड, मिजोरम, आसाम तक था। काली और दुर्गा नामक अति रुपवती आर्य कन्याएँ थी जिनकी शादी आर्यो ने महिसासुर से करवा दी तथा शराब मे जहर मिलाकर मरवा दिया था।।।।।।
(6 )बंगासुर ⇨
बंगासुर अत्यंत प्रखर बुध्दीमान आदिवासी सम्राट थे, जिनका शासन बंगाल व त्रिपुरा तक था। इन्ही के नाम फर " बंगाल " का नामकरण हुआ।
इन सभी राजाओं के राजपाठ गणतंत्र प्रणाली पर आधारित थे और आर्यो ने इस प्रणाली को नष्ट करके अपनी संस्कृति इन पर लाद दी। कई वर्षो बाद महाराजा रावण ने अपनी क्षमता के बल पर अपने राज्य की स्थापना की।
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