🌸धरती का अमृत फूल महुआ 🌸 ~ जय सेवा जय बड़ादेव जय गोंडवाना/ Jai Seva Jai Gondwana

🌸धरती का अमृत फूल महुआ 🌸

                          🌸 महुआ 🌸

गोंड़ अपने देवताओं में महुआ फूल क्यों चढ़ाते हैं..?

प्रकृति का पवित्र फूल -- महुआ के फूल
धरती का प्रत्यक्ष कल्प वृक्ष ~ महुआ का वृक्ष
इस धरती का अमृत --- महुआ के फूल


ब्राह्मण मंदिर को भगवान का घर मानते हैं, इन मंदिरों के देवी देवताओं में भक्तों के द्वारा प्रतिदिन नाना प्रकार के खुशबूदार फूल चढाये जाते हैं...


चार घण्टे बाद उस भगवान में चढा हुआ फूल मुरझा जाता है आठ घण्टे बाद सड़ जाता है, बारह घण्टे के बाद भगवान में चढा हुआ खुशबूदार फूल बदबू देने लगता है...


अब विचारणीय तथ्य ये है कि जब मंदिर के भगवान के दर्शन मात्र से ये पापी शरीर पवित्र हो जाता है .... तो उस भगवान मे चढा हुआ फूल सड़कर बदबू नही देना चाहिए..... बल्कि पवित्र होकर और दुगुना खुशबू देना चाहिए,


लेकिन ऐसा नही होता, भगवान में चढा हुआ फूल सड़कर बदबू देता है तो इंसान कैसे पवित्र हो सकता है..? इसी बात को विचार करना है..!

इसीलिए हंमारे पुरखा हंमारे देवताओं में महुआ फूल चढ़ाते हैं,.... क्यों..?

क्योंकि महुआ का फूल एक एक बूंद के समान टपकता है, हम उसे एक एक कर बीनते हैं, सुखाते हैं, और सीलबंद (एयर टाइट) करके एक साल, दो साल, दस साल बीस साल, पचास साल, सौ साल से ऊपर रखते हैं ... और सौ साल बाद निकालने के बाद पानी मे भिगोने से वही ताज़गी, वही रंग, वही रूप, वही खुशबू वही स्वाद ज्यों का त्यों रहता है जब पेड़ से टपकने के समय था,...


कुदरत ने इस धरती पर महुआ फूल के सिवाय कहीं ऐसा फूल नही बनाया है जो कई दिन, कई माह, कई साल तक तरो ताज़ा रहे..

इसीलिए गोंड़ अपने देवता पर महुआ का फूल चढ़ाते हैं..!


  🌸महुआ फूल अन्य महत्वपूर्ण उपयोग : =>


महुआ का फूल स्वास्थ्य वर्धक, बल वर्धक, पाचक, उम्र बढाने वाला एक कंप्लीट टॉनिक है..!

★ महुआ के फूल स्वास्थ्य वर्धक पौष्टिक आहार है..!

★ महुआ के फूल का पकवान खाते हैं, इससे खून साफ रहता है, पाचन सम्बन्धी कोई बीमारी ही नही होती, पाचन अंग स्वस्थ रहता है, ..!

★ महुआ के फूल का लाटा (लड्डू) खाने से दांत मजबूत रहता है,.!

★ अकालक समय आदिवासी महुआ के फूल की रोटी , लाटा (लड्डू) खाकर अपना जीवन बचाते थे..!

★ कमजोरी होने पर डॉक्टर टॉनिक देता है उसमे 90% अल्कोहल (महुआ के फूल का अर्क) होता है..!

★ दो चार मुट्ठी महुआ के फूल को भूसा के साथ हर रोज देने से कमाऊ जानवर बैल, भैंसा कमजोर नही रहता. !

★ महुआ से चोंप (गोंद्) निकालते है जिससे घर कोठी, डोली के अन्न को नुकसान करने वाले चूहा को फंसाते हैं, तथा चिड़िया फंसाने का काम आता है..!

★ महुआ के फल (गुल्ली) की फल्ली से तेल निकालकर घर का उपयोग करते थे.. *आज ये सब नही होता इसलिए मंहगाई बढ़ी है बाज़ार हम पर हावी है. !

★ महुआ की लकड़ी का कोयला में  बहुत ताप होता है, लोहा जल्दी गलता है, इसके कोयले से कृषि औजार लोहा, हंसिया, कुदाली वगैरह  गलाने ने काम आता है..!

★ महिलाओं को जचकी के बाद शारीरिक दर्द कम करने और रक्त शोधन के लिए महुआ के फूल का कड़क दारू बनाकर थोड़ी मात्रा दवाई के रूप में देते थे, (जब जचकी का बत्तीसा दवाई नही मिलता था)..!

★ उत्सव और त्यौहार पर महुआ के फूल का दारू का एक साथ बैठकर सेवन करने से सामाजिक एकता मज़बूत रहता था... आज भी बस्तर में शादी वाले के घर में प्रत्येक घर से महुआ दारू लाते है और साथ मे सेवन कर साथ मे जश्न मनाते हैं..!
★ हंमारे इधर गोंड़ समाज मे सगाई की परम्परा को मंद चुहाई का नेंग कहते हैं..!
★ आंगादेव को महुआ के दारू पिलाते हैं, पिलाते समय एक बूंद भी ज़मीन पर नही गिरता..!

महुआ का पेड़ कुदरत का अनमोल तोहफा है....
यूँ कहा जाय ...
महुआ के फूल को इस धरती का अमृत और  महुआ के पेड़ को इस धरती का कल्प वृक्ष कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी..!
(A) ताजे व सूखे पुष्प औषधि के रूप में-


(क) यह भोजन के रूप में शक्तिवर्धक और स्फूर्ति दायक होता है, साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता की बढ़ोत्तरी करता है. पेट व पाचन संबंधी विकारों को दूर करता है.

(ख) इसके ताजे फूलों का पेस्ट बनाकर लेप करने से त्वचा में निखार आता है. इसके साथ घृतकुमारी, चन्दन, हल्दी मिलाकर लेप करने से और अधिक असर कारक होता है.

(ग) ताजे फूलों के रस का सेवन रक्ताल्पता, हड्डियों एवं नेत्र ज्योति के लिए लाभदायक है. शक्तिवर्धक, वीर्य अल्पता तथा प्रजनन सम्बन्धी विकारों को दूर करता है.

(घ) सूखे पुष्प को जलाकर गुल्ली/टोर के तेल मिलाकर घाव, चोट के स्थान पर लगाने से घाव जल्दी सूख जाता है.

(ड.) ताजे पुष्प नियमित खाने से साईटिका में आराम मिलता है. रक्त दोष को दूर कर संचार को नियंत्रित करता है. मधुमेह के लिए भी ताजे फूलों का सेवन लाभकारी है.

(च) सूखे साल बीज और सूखे महुआ पुष्प को मिट्टी के बर्तन में पकाकर भोजन के रूप में ग्रहण किया जाता है. यह पौष्टिक, सुपाच्य तथा पाचन संबंधी विकारों को दूर करने के साथ ही मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा असर कारक है.


(छ) मिट्टी के बर्तन से भुने हुए पुष्प का पिसान (आटा) और भुने हुए मड़िया पिसान (आटा) का सत्तू या लड्डू प्रसूता माताओं के लिए अमृत गुणकारी है. प्रसूति के समय सेवन करने से शक्ति में वृद्धि, दर्द निवारक होने के साथ ही दूध की मात्रा बढ़ाता है. सदियों से इरुक के इस औषधीय गुण के ज्ञान और विश्वास के कारण आज भी आदिम समाज की अधिकतर माताएं घर में ही प्रसूति करना पसंद करते हैं.

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