रामायण में राम का बहाना दे कर खुद शूद्रों को गा गा कर गाली दिया और आज भी शूद्र यानी (SC,ST,OBCs) वही रामायण गा गा कर खुद को हो गाली देता है। कभी रामायण में लिखी चौपाईयो का अर्थ नही समझता।।।
चलिए आज आपको रामायण में लिखी सत्यता को दिखाते हैं👇👇
🔴 *मौलिक जानकारी*🔴
जिस रामायण मे जात के नाम से गाली दिया गया है, उसी रामायण को शूद्र लोग रामधुन (अष्टयाम) मे अखण्ड पाठ करते है, और अपने को गाली देते है । और मस्ती मे झाल बजाकर निम्न दोहा पढते है :-
*जे बरनाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा*।।
(तेली, कुम्हार, किरात, कोल, कलवार आदि सभी जातियां नीच 'अधम' वरन के होते हैं)
*नारी मुई गृह संपत्ति नासी, मूड़ मुड़ाई होहिं संयासा*
(उ•का• 99ख 03)
(घर की नारी 'पत्नी' मरे तो समझो एक सम्पत्ति का नाश हो गया, फिर दुबारा दूसरी पत्नी ले आना चाहिए, पर अगर पति की मृत्यु हो जाए तो पत्नी को सिर मुंड़वाकर घर में एक कोठरी में रहना चाहिए, रंगीन कपड़े व सिंगार से दूर तथा दूसरी शादी करने की शख्त मनाही होनी चाहिए)
*ते बिप्रन्ह सन आपको पुजावही,उभय लोक निज हाथ नसावही*
(जो लोग ब्रह्मण से सेवा/ काम लेते हैं, वे अपने ही हाथों स्वर्ग लोक का नाश करते हैं)
*अधम जाति मै विद्दा पाए। भयऊँ जथा अहि दूध पिआएँ*
(उ०का० 105 क 03)
(नीच जाति (SC,ST,OBCs) विद्या/ज्ञान प्राप्त करके वैसे ही जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पिलाने के बाद साँप)
*आभीर(अहिर) जमन किरात खस,स्वपचादि अति अधरूप जे*!!
(उ• का• 129 छं•01 )(अथॅ खुद जाने)
*काने खोरे कूबरे कुटिल कुचली जानि*।।
(अ• का• दोहा 14)
(दिव्यांग abnormal का घोर अपमान, जिन्हें भारतीय संविधान ने उन्हें तो एक विशेष इंसान का दर्जा दिया & विशेष हक-अधिकार भी दिये)
*सति हृदय अनुमान किय सबु जानेउ सर्वग्य,कीन्ह कपटु मै संभु सन नारी सहज अग्य*
(बा • का• दोहा 57क)
( नारी स्वभाव से ही अज्ञानी)बाकि अथॅ खुद समझे ।
*ढोल गवार शूद्र पशू नारी,सकल ताड़न के अधिकारी* ।।
(ढोल, गंवार और पशुओं की हीे तरह *शूद्र*(SC,ST,OBCs) एव साथ-साथ *नारी* को भी पीटना चाहिए)
( सु•का• दोहा 58/ 03)
*पुजिए बिप्र शील गुण हीना,शूद्र न पुजिए गुण ज्ञान प्रविना*
(ब्रह्मण चाहे शील-गुण वाला नहीं *है फिर भी पूजनीय हैं और शूद्र (SC,ST,OBCs)चाहे कितना भी शीलवान,गुणवान या ज्ञानवान हो मान-सम्मान नहीं देना चाहिए)
इस प्रकार से अनेको जगह जाति एवं वर्ण के नाम रखकर अपशब्द बोला गया है। पुरे रामचरितमानस व रामायण मे जाति के नाम से गाली दिया गया है।
इसी रामायण मे बालकाण्ड के दोहा 62 के श्लोक 04 मे कहा गया है, कि जाति अपमान सबसे बड़ा अपमान है
इतना अपशब्द लिखने के बाद भी हमारा शूद्र/दलित समाज (SC, ST, OBCs) रामायण को सीने से लगा कर रखे हुए है, और हजारो , लाखो रूपये खर्च कर रामधुन (अष्टयाम ) कराते है। कर्ज मे डूबे रहते है। बच्चे को सही शिक्षा नही देते है और कहते है कि भगवान के मर्जी है ।
शिक्षित बने जागरूक बने।
कुछ (SC,ST,OBCs) लोग पढ़ने-लिखने के पश्चात (डाॅ भीमराव अंबेडकर जी) के लिखे गए संविधान के आधार पर नौकरी पाते है और कहते है कि ये सब राम जी के कृपा से हुआ है।।जागो शिक्षा ही सवोॅपरि है ।
यदि आप (भगवान राम ) के कृपा से ही पढे लिखे और नौकरी पाए तो आपके पिताजी, दादाजी, परदादाजी & दादी, नानी, परदादी, इत्यादि भी पढे लिखे होते नौकरी पेशा मे होते! यदि सब राम (भगवान )के कृपा से ही हुआ है, तो आप बताइए कि अंग्रेज़ के राज के पहले एक भी शूद्र (SC,ST,OBCs) पढ़ा लिखा विद्वान बना हो?
उस जमाने मे डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी पढे थे जिन्होने जरूरत मंद को अधिकार दिलवा गये ।।।
मेरे प्यारों!!
आप शूद्र/दलित अर्थात मूलनिवासी (SC,ST,OBCs) जो भी कुछ है, भारतीय संविधान के बल पर ही है।
*इसलिए हम सब का परम कर्तव्य बनता है कि भारतीय संविधान की रक्षा करें*।
संविधान सवोॅपरि है ।इस पोस्ट का मतलब अन्यथा (धमॅ ,ग्रन्थ,जाति को ठेस पहुंचाना नही है । )ना ले सिफॅ संविधान को मानने के लिये प्रेरित करना है ।
चलिए आज आपको रामायण में लिखी सत्यता को दिखाते हैं👇👇
🔴 *मौलिक जानकारी*🔴
जिस रामायण मे जात के नाम से गाली दिया गया है, उसी रामायण को शूद्र लोग रामधुन (अष्टयाम) मे अखण्ड पाठ करते है, और अपने को गाली देते है । और मस्ती मे झाल बजाकर निम्न दोहा पढते है :-
*जे बरनाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा*।।
(तेली, कुम्हार, किरात, कोल, कलवार आदि सभी जातियां नीच 'अधम' वरन के होते हैं)
*नारी मुई गृह संपत्ति नासी, मूड़ मुड़ाई होहिं संयासा*
(उ•का• 99ख 03)
(घर की नारी 'पत्नी' मरे तो समझो एक सम्पत्ति का नाश हो गया, फिर दुबारा दूसरी पत्नी ले आना चाहिए, पर अगर पति की मृत्यु हो जाए तो पत्नी को सिर मुंड़वाकर घर में एक कोठरी में रहना चाहिए, रंगीन कपड़े व सिंगार से दूर तथा दूसरी शादी करने की शख्त मनाही होनी चाहिए)
*ते बिप्रन्ह सन आपको पुजावही,उभय लोक निज हाथ नसावही*
(जो लोग ब्रह्मण से सेवा/ काम लेते हैं, वे अपने ही हाथों स्वर्ग लोक का नाश करते हैं)
*अधम जाति मै विद्दा पाए। भयऊँ जथा अहि दूध पिआएँ*
(उ०का० 105 क 03)
(नीच जाति (SC,ST,OBCs) विद्या/ज्ञान प्राप्त करके वैसे ही जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पिलाने के बाद साँप)
*आभीर(अहिर) जमन किरात खस,स्वपचादि अति अधरूप जे*!!
(उ• का• 129 छं•01 )(अथॅ खुद जाने)
*काने खोरे कूबरे कुटिल कुचली जानि*।।
(अ• का• दोहा 14)
(दिव्यांग abnormal का घोर अपमान, जिन्हें भारतीय संविधान ने उन्हें तो एक विशेष इंसान का दर्जा दिया & विशेष हक-अधिकार भी दिये)
*सति हृदय अनुमान किय सबु जानेउ सर्वग्य,कीन्ह कपटु मै संभु सन नारी सहज अग्य*
(बा • का• दोहा 57क)
( नारी स्वभाव से ही अज्ञानी)बाकि अथॅ खुद समझे ।
*ढोल गवार शूद्र पशू नारी,सकल ताड़न के अधिकारी* ।।
(ढोल, गंवार और पशुओं की हीे तरह *शूद्र*(SC,ST,OBCs) एव साथ-साथ *नारी* को भी पीटना चाहिए)
( सु•का• दोहा 58/ 03)
*पुजिए बिप्र शील गुण हीना,शूद्र न पुजिए गुण ज्ञान प्रविना*
(ब्रह्मण चाहे शील-गुण वाला नहीं *है फिर भी पूजनीय हैं और शूद्र (SC,ST,OBCs)चाहे कितना भी शीलवान,गुणवान या ज्ञानवान हो मान-सम्मान नहीं देना चाहिए)
इस प्रकार से अनेको जगह जाति एवं वर्ण के नाम रखकर अपशब्द बोला गया है। पुरे रामचरितमानस व रामायण मे जाति के नाम से गाली दिया गया है।
इसी रामायण मे बालकाण्ड के दोहा 62 के श्लोक 04 मे कहा गया है, कि जाति अपमान सबसे बड़ा अपमान है
इतना अपशब्द लिखने के बाद भी हमारा शूद्र/दलित समाज (SC, ST, OBCs) रामायण को सीने से लगा कर रखे हुए है, और हजारो , लाखो रूपये खर्च कर रामधुन (अष्टयाम ) कराते है। कर्ज मे डूबे रहते है। बच्चे को सही शिक्षा नही देते है और कहते है कि भगवान के मर्जी है ।
शिक्षित बने जागरूक बने।
कुछ (SC,ST,OBCs) लोग पढ़ने-लिखने के पश्चात (डाॅ भीमराव अंबेडकर जी) के लिखे गए संविधान के आधार पर नौकरी पाते है और कहते है कि ये सब राम जी के कृपा से हुआ है।।जागो शिक्षा ही सवोॅपरि है ।
यदि आप (भगवान राम ) के कृपा से ही पढे लिखे और नौकरी पाए तो आपके पिताजी, दादाजी, परदादाजी & दादी, नानी, परदादी, इत्यादि भी पढे लिखे होते नौकरी पेशा मे होते! यदि सब राम (भगवान )के कृपा से ही हुआ है, तो आप बताइए कि अंग्रेज़ के राज के पहले एक भी शूद्र (SC,ST,OBCs) पढ़ा लिखा विद्वान बना हो?
उस जमाने मे डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी पढे थे जिन्होने जरूरत मंद को अधिकार दिलवा गये ।।।
मेरे प्यारों!!
आप शूद्र/दलित अर्थात मूलनिवासी (SC,ST,OBCs) जो भी कुछ है, भारतीय संविधान के बल पर ही है।
*इसलिए हम सब का परम कर्तव्य बनता है कि भारतीय संविधान की रक्षा करें*।
संविधान सवोॅपरि है ।इस पोस्ट का मतलब अन्यथा (धमॅ ,ग्रन्थ,जाति को ठेस पहुंचाना नही है । )ना ले सिफॅ संविधान को मानने के लिये प्रेरित करना है ।
बहुत ही शानदार संस्कृति का प्रदर्शन किया है आपने कुछ ओबीसी के लोग अपने आप को राजपूत से भी ऊपर समझने की भूल मे हैं
जवाब देंहटाएंजबकि राजपूत उनकी औकात जानते हैं
और उनका इस्तेमाल jute की तरह करते हैं और वे बड़े ख़ुश होते हैं
बिलकुल सही कहा आपने सर OBC समाज के लोग अपने आपको ठाकुर ही समझते हैं SC ST वालों के सामने।
हटाएंसही कहा आपने।
हटाएंramayan sahi he but iss writer ne ya bampanthiyo ne hindu dharma ko kharab karne ke liye aisa likha he khas kar brahmin ne
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