श्वास रोग और आंक का लाभकारी उपचार ।

श्वास रोग पर आक के चमत्कारी प्रयोग

श्वास रोग (दमा) आजकल की जीवनशैली में एक सामान्य समस्या बन गई है, जो वायु प्रदूषण, तनाव और गलत आहार के कारण बढ़ती जा रही है। इसके इलाज के लिए पारंपरिक औषधियों का सहारा लिया जाता है, और इनमें से एक प्रभावी औषधि है आक (अकाशी)। आक के पौधे का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है, खासकर श्वास रोग में। यहां हम आक के विभिन्न चमत्कारी प्रयोगों के बारे में जानेंगे, जो श्वास रोग को दूर करने में सहायक हो सकते हैं।

1. आक और काली मिर्च की गोलियां:

आक के पत्ते और काली मिर्च का संयोजन श्वास रोग के इलाज में अत्यंत प्रभावी है। इसके लिए आक के पत्ते (1) और काली मिर्च (5-2) को खरल में अच्छी तरह पीसकर माष के दाने के समान गोलियां बनाएं। इन गोलियों को गर्म जल के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वास रोग दूर हो जाता है। छोटे बच्चों को केवल एक गोली दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता अलग होती है। यह उपाय कफ वाले दमे में विशेष रूप से लाभकारी होता है।

2. आक के जड़ का छिलका और अजवायन:

आक के जड़ का छिलका (3 तोले), अजवायन (2 तोले), और पुराना गुड़ (5 तोले) को रगड़कर जंगली बेर के समान गोलियां बनानी चाहिए। ताजे जल के साथ एक-एक गोली दिन में कई बार लेने से श्वास रोग की समस्या में लाभ मिलता है। यह औषधि श्वास मार्ग को साफ करती है और दमा की गंभीर स्थितियों को नियंत्रित करती है।

श्वेता आंकड़े का पौधा
                स्वेत आंकड़े के पौधे का चित्र 1:1



3. आक का रस और भुने हुए जौ:

यह एक और प्रभावी उपाय है। भुने हुए जौ (यव) को आक के रस में 14 दिन तक निरंतर रखकर फिर धूप में सुखाकर बारीक पीस लें। फिर इस मिश्रण का 1 माशे से 3 माशे तक शहद में मिलाकर सेवन करें। यह उपाय श्वास रोग को समाप्त करने में मदद करता है। आक के रस में भुने हुए जौ को मिलाकर तैयार किया गया यह मिश्रण श्वास और फेफड़ों की स्थिति को सुधारने में मदद करता है।

4. नीलाथोथा और गुड़ की गोली:

नीलाथोथा (1 माशा) और गुड़ (1 माशा) को कूटकर आक के दूध में खरल करके गोलियां बनाएं। इन गोलियों को तीन दिन तक जल के साथ सेवन करने से श्वास रोग की समस्या में राहत मिलती है। शुरुआत में वमन (कै) और दस्त हो सकते हैं, लेकिन यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिससे शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। इसके बाद, रोगी को आराम मिलने लगता है और श्वास में सुधार होता है।


काले आंकड़े के पौधे का चित्र 1:2
5. आक के पंचांग का प्रयोग:

आक के पंचांग (पत्तियों और शाखाओं का मिश्रण) को जलाकर उसकी राख को आठ गुने जल में भिगोकर हिलाते रहें। तीन दिन बाद जल को छानकर पकाकर क्षार बना लें। इस क्षार को 1 रत्ती मात्रा में पान या अदरक के रस या मधु के साथ सेवन करें। यह उपाय श्वास रोग को दूर करने में सहायक होता है और फेफड़ों की कार्यप्रणाली को ठीक करता है।

6. आक के कोमल कोपल और अन्य औषधियां:

आक के कोमल कोपल, पीपल बड़ा और सौंध लवण को समान मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर जंगली बेर के समान गोलियां बनाएं। इस मिश्रण का सेवन गर्म पानी के साथ तीन दिन तक करने से दमा और श्वास रोग में राहत मिलती है। यह उपाय श्वास मार्ग को खोलता है और कफ को बाहर निकालता है, जिससे रोगी को सांस लेने में आसानी होती है।

7. आक का पत्ता और काली मिर्च:

आक का पत्ता (1) और काली मिर्च (5) को बारीक पीसकर जंगली बेर के समान गोलियां बनाएं। इन गोलियों का सेवन करने से कफ वाले दमे में लाभ मिलता है। यह उपाय श्वास मार्ग को साफ करता है और श्वास में सुधार करता है।

नोट: इन सभी प्रयोगों को किसी आयुर्वेदाचार्य की देखरेख में ही करना चाहिए। किसी भी प्रयोग के दौरान अपने जूठन को किसी अन्य व्यक्ति को न खिलाएं। आयुर्वेद में स्वास्थ्य की देखभाल करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।

निष्कर्ष: आक के पौधे में छुपे हुए अद्भुत औषधीय गुण श्वास रोग के इलाज में चमत्कारी परिणाम दिखाते हैं। ऊपर दिए गए प्रयोगों के माध्यम से श्वास रोग को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इनका सेवन आयुर्वेदाचार्य की देखरेख में ही करें, ताकि सही मात्रा में औषधि का सेवन किया जा सके और स्वस्थ जीवन का आनंद लिया जा सके।







टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गोंड वंश की गोत्रावली

🔆 ध्रुव गोंड गोत्र ज्ञान माला 🔆

विभिन्न गोंडों की गोत्रावली आप की जानकारी हेतु