१. आक का पत्ता १, काली मिर्च ५२ इन दोन को खरल करके माष के दाने के समान
गोलियां बनाएं इनमें से छह गोलियां गर्म जल के साथ कुछ दिन के प्रेयोग करने से
श्वास रोग दूर होता है। छोटे बचेको केवल एक गोली देनी चाहिए।
२. आक के जड़ का छिलका तीन तोले, अजवायन देशी दो तोले, पुराना गुड़ ५ तोले -
सब रगड़कर जंगली बेर के समान गोली बनाये। ताजेजल के साथ एक-एक गोली लेवे, दिन में
कई बार लेवे, श्वास रोग की उत्तम औषधी है।
३. भुनेहुए जौ (यव) को आक के रस में १४ दिन तक निरंतर रखे। फिर धूप में
सुखाकर बारिक पीस लें। इनमें से१ माशे से ३ माशे तक छः माशे शहद में मिलाकर लेवे।
यह अत्यंत लाभदायक औषध है, अद्भुत प्रभाव डालती है।
४. नीलाथोथा भुना हुआ एक माशा, गुड़ एक माशा - दोनो को कूटकर आक के दूध में
खरल करके इसक सात गोलीयां बनाये। एक गोली तीन दिन जल के साथ निगलने दे। इसके
प्रयोग से तीन-चार दिन तो खूब वमन (कै) तथा दस्त लगेगा। इसके पश्चात आराम हो
जाएगा । मूंग चावल की खचडी और घी खिलाये। इस उत्तम औषध से पुराने से पुराना दमा
श्वास रोग समूल नष्ट हो जायेगा ।
५.आक सचित्र
६. आक के पंचांग को जलाकर राख बना ले और उसे तोल से आठ गुनेजल में भिगो दें। दिन
में कई बार हिलाते रहे। तीन दिन पीछे ऊपर का जल निथार छानकर पकाये, क्षार बन
जायेगा । मात्र १ रत्ती (घुँघची/ बेंची के दाने के बराबर)पान वा अदरक के रस वा
मधु के साथ सेवन कराये। श्वास रोग दूर होगा ।
७.आक के कोमल-कोमल कोपलो, पीपल बड़ा, सौंध लवण सब सम भाग लेकर खूब बारीक
पीसकर जंगली बेर के समान गोली बनाये। एक गोली गर्म पानी के साथ तीन दिन लेने से
दमा दूर होगा ।
८.आक का पत्ता एक, काली मिर्च पांच - इन दोनो को खूब बारीक पीसकर जंगली बेर
के समान गोली बनाये। इनमे से ७ गोलियां प्रयोग करने से ही लाभ हो जायेगा । ये सभी
प्रयोग कफ वाले दमे को लाभ करते है।
नोट:- कृपया किसी आयुर्वेदाचार्य के देखरेख में ही प्रयोग करें , प्रयोग के
दौरान अपने जूठन किसी को न खिलाये।
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