जयसेवा जय गोंडवाना
परम शक्ति फड़ापेन की कथा
सर्वशक्तिमान बड़ादेव की सत्य कथा वाचन के पूर्व घर के मुख्य द्वार पर छुई या गोबर से लिपवा कर हल्दी या आटे से चौक पूर कर उसके ऊपर पटा रखकर उसके ऊपर ही सफेद कपड़ा बिछाना चाहिए ।
फिर उसके ऊपर हल्दी की 5 गांठ, चांवल के दाने, साज के पत्ते रखना 1 चाहिए। उसी स्थान पर फड़ापेन के प्रतीक स्वरूप (खांडा या शंख) पूजा स्थल रखना चाहिए।
इसके बाद सर्वप्रथम बड़ादेव स्मरण कर घर के देवी देवताओं का नाम लेकर समस्त छोटे बड़े देवों का नाम लेकर जय-जय कार करें। फिर बड़ादेव जी की कथा प्रारम्भ करना चाहिए।
॥ समर्थ - फड़ापेन - महाव्रत पूजा !!
दोहा -
अपने-अपने इष्ट को नमन करें सब कोय ।
फड़ापेन की कृपा से, मनसा पूरन होय ॥
॥ फड़ापेन की पूजन सामग्री ॥
फड़ापेन की पूजन सामग्री निम्नांकित है -
1. बिना कील का पटा
2. सफेद कोरा कपड़ा (लगभग सवा गज) ..
3. नारियल एक या दो
4. देवों के अनुसार (2 बारक, हल्दी गांठ, चांवल, उड़द और पिसी हल्दी)
5. होम के लिये शुद्ध लुभान, (सरई का गोंद)
6. सफेद फूल
7. साज के पत्ते (5 या 7)
8. . कच्चा धागा
9. कोरे मिट्टी के दिये (5)
10. कपास की बत्ती
11. प्रसाद हेतु शक्कर, गुड़ फल
महुआ का फूल
परम शक्ति फड़ापेन की कथा :
दोहा -
शिव गौरा को सुमरि गुरु, देवगन को सिर नाय फड़ापेन महिमा कथा, कहो पुनेम जस गाय ॥
जय-जय माँ कंकाली की जय-जय जंगो माय
जय-जय लिंगो राय की, कोया पुनेम चलाय ॥
जय-जय रेवा खण्ड की, जय कोयामूरी द्वीप
जय-जय सगा समाज की, अमर रहे यह रीत ॥
मात-पिता को ध्यान कर, गुरु को शीश नवाय ।
बिनती सगा समाज से, बिगड़ी लेव बनाय ||
कथा कहूँ फड़ापेन की, माता को सिर नाय ।
अर्ज करूँ फड़ापेन से, ज्ञान मुझे मिल जाय ॥
उन्दी पाठ - 1
एक समय की बात है टीपागढ़ संस्थान (चाँदागढ़) के गोंड राजा वीरंशाह अत्राम सगा समाज की जन समस्याओं के निराकरण हेतु गुरु विक्रम देव से बोले हे गुरु समस्त सगा समाज के लोग सत्यमार्ग से हट कर गैर कोया पुनेमी लोगों के सम्पर्क में आकर उन्हीं के कहे अनुसार जन्म, विवाह एवं मृतक संस्कार कर्म करतें हैं; तथा अराध्य देव सर्वशक्तिमान फड़ापेन की महिमा को भूलते जा रहे हैं जिसके कारण गोंडवाना देश व विश्व में आकाल, भुखमरी, अवर्षा, अधर्म एवं आतंक का वातावरण बना हुआ है। अतः हे गुरु आप ऐसा मार्ग बताएं जिससे समस्त प्राणियों १. का कल्याण हो सके ।तब गुरु विक्रम देव ने कहा जिस निमित्त से आपने जन कल्याण की बात मुझसे पूछी है। सो हे राजन ध्यान से सुनो - इस जगत में फड़ापेन सर्व शक्तिमान बड़ादेव का महाव्रत पूजा ही सबसे बड़ी पूजा है। यह पूजा धन, धर्म धरती संसार के सारे प्राणियों का उद्धार करने वाला है। इस महाव्रत पूजा से मनुष्यों में आत्मबल, जन चेतना एवं सृष्टि के चर-अचर प्राणियों के प्रति आत्मीयता जागृत होती है तथा विश्व का कल्याण होता है। इसलिए हे धरती पुत्रसमस्त सगा जनों को "फड़ापेन महाव्रत पूजा" का श्रवण पाठन एवं निरंतर मन में मनन करना परम आवश्यक है। तब राजा ने पूछा हे गुरू इस महाव्रत पूजा की क्या प्रक्रिया है यह पूजा कैसे और किसके द्वारा सम्पन्न होती है। कृपा कर इसे भी बताने का कष्ट करें। ताकि समस्त मानव प्राणियों का भला हो तथा इसका श्रवण, पठन कर फड़ापेन की महिमा को समझ सके और निर्मल भावना से सद्ज्ञान प्राप्त कर अंत में "परसा पेन शक्ति" में समाहित हो सके ।
"श्री फड़ापेन महाव्रत पूजा" पहला पाठ समाप्त ॥ बोलो फड़ापेन की जय ॥
2. मूंद पाठ -3 ( सर्वोच्च शक्ति का आमंत्रण )
3. नालुंग पाठ - 4 ( कोया पुनेम के बंदनीय)
4. सांयुग पाठ -5 ( कथा माता कली कंकाली की)
5. सारूंग पाठ - 6 ( पारी कुपार लिंगो)
6. येसंग पाठ - 7 ( कपटी तांत्रिक और महाराज संग्राम शाह )
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