जोहार जोहार
"International Day of the World's Indigenous Peoples" "विश्व आदिवसी दिवस " कि उपलब्धी पर
हार्दिक बधाईया तथा खूब सारी शुभकामनाए |
आशा है इस उपलब्धी के अवसर पर सारे आदिवसी भाई बहन हर वर्ष कि तरह अपने अपने क्षेत्र मे अपनी सांस्कृतिक धरोहर विविध कार्यक्रमो के जरीये दुनियाके सामने प्रस्तुत करेंगे और अपनी ख़ुशी का इजहार करेंगे |
आईये इस अवसर पर जानते है कि आखिर "International Day of the World's Indigenous Peoples " "विश्व आदिवसी दिवस " का इतिहास क्या है ?
आगे बढने से पहले एक सवाल " क्या आदिवासी (indigenous) इन्सान है?"
शायद यह पढ़ कर आप जरूर चौक गये होंगे |
यह बात है १९२३ कि जब युनायटेड नेशन लीग कि अमेरिका कि मिटिंग मे कनाडा से दो आदिवसी प्रमुख चीफ देसका तथा चीफ मावे शामिल होने गये थे | उस समय विश्वभर मे अमेरिका शक्तिशाली देश के रूप मे उभर रहा था | जिसके चलते अमेरिका आस पास के जंगल जमीन पर कब्जा कर रहा था और साथ हि वहा के आदिवासियो कि खुशहाल जिंदगी मे दाखल देकर उनकी आजादी छीन रहा था । ऐसी परिस्थिती मे इन आदिवसी प्रमुख को लगा कि अब अगर हमारी आवाज कही सुनी जायेगी तो सिर्फ युनायटेड नेशन लीग में | लेकीन १९२५ तक युनायटेड नेशन लीग का दरवाजा हमारे आदिवसी प्रमुखो के लिये खुला नही |
उसके बाद दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध मे फस गयी और आगे विश्व युद्ध खतम होते ही युनायटेड नेशन लीग, युनायटेड नेशन ओर्गनायजेशनमे तबदील हुआ | जब सारे देश शांती चाहने लगे तब युनायटेड नेशन ओर्गनायजेशनने जीम्मेवारी पूर्ण निर्णय लेते हुये मानवाधिकार, लेबर एक्त आदिपर काम करना सुरु किया लेकीन इन सभी चीजो मे आदिवासियो के लिये कोई विचार नही किया गया, नाही युनायटेड नेशन ओर्गनायजेशनको आदिवासियो पर ध्यान देने कि आवाशक्यता महसूस हुई,
१९७० के दशक में जब मानवाधिकार आयोग जोरो से काम कर रहा था, कनाडा तथा अमेरीका के नजदिकी देशो से आदिवसी प्रमुख इनके संपर्क मे आये और उन्होने अमेरिका द्वारा होणे वाले अत्याचार तथा पुराने समय मे ब्रिटन के रानी के साथ किये गये करारो (जो हमारे देश ब्रीटीशो द्वारा किये गये छोटा नागपूर, संथाल टेनेंसी अक्ट का उगम है) का उल्लंघन के बरे मे अवगत कराया। उसके बाद लगभग ९ ऑगस्ट १९८२ को आदिवासियो पर होणे वाले अत्याचार, ज्याद्ती आदि के बरे मे रिपोर्ट दर्ज किया गया |
२३ दिसंबर १९९४ कि असेम्ब्ली मे युनायटेड नेशन ओर्गनायजेशनने यह महसूस किया कि आदिवासीयो का इस विश्व मे महत्वपूर्ण स्थान है और इसी वजह से हर साल ९ अगस्त को दुनियाभर मे
"International Day of the World's Indigenous Peoples" "विश्व आदिवसी दिवस" के तौर से मनाया जाता है।
था
अब चलते है उस सवाल पर जो पेज के शुरू में आया है।
'क्या आदिवासी (indigenous) इन्सान है?" इस सवाल से मन मे यही सवाल उठा होगा कि ये कैसा बेहूदा सवाल है, मन मे भर भर के गालिया सोचे होंगे।
आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस सवाल का जवाब युनायटेड नेशन ओर्गनायजेशन और मानवाधिकार आयोग को सोचने मे ८ साल लगे | युनायटेड नेशन ओर्गनायजेशन जैसी इंटेलीजेंट तथा जीम्मेवार संस्था के लोगोने आदिवासी इन्सान होता है यह समझने मानने स्वीकार करनेके लिये ८ साल चर्चा कि जो खुद हि एक इतिहास है।
विश्वभर में जहा भी आदिवसी है उनपर हमेशा अत्याचार होते आये है तथा १९९४ के पहले तक आदिवासीयो के लिये न्याय मांगने कि आन्द्रास्ष्ट्रीय सत्र पर कही भी व्यवस्था नही थी। जिस समय यह स्वीकार हुआ कि आदिवासी इन्सान है उसका मतलब उन्हे भी मानवाधिकार लागू होते है जो पहले लागू नही होते थे, उसी के साथ कि आदिवासियो को गुलाम बनाया गया, शोषण किया गया उन्हें लेबर एक्ट के तहत सम्मान देना तथा वेतन देना अनिवार्य हो गया |
तो यह "International Day of the World's Indigenous Peoples" "विश्व आदिवसी दिवस "के पीछे कि संक्षिप्त कहानी है | आईये जानते है आदिवासीयोने दुनियाको क्या राह दिखाई
१. आदिवासी इन्सान होता है
२. हमारे साथ हमारे पूर्वज उनकी यादे सिख के रूप मे जीवित रहते है | इसीलिये आदिवासियो के सभी कार्यक्रम पूर्वजो को याद कर उनसे आशीर्वाद लेकर सुरु किये जाते है |
३. हम आदिवासी अनाज सिर्फ खाने के लिये हि नही
इस्तेमाल करते बल्की किसी के प्रति आदर सम्मान प्रकट करने के लिये प्रयोग मे लाते है | इसीलिये हम नया अनाज पूजा के बाद हि खाते है |
४. हम आदिवासी स्त्रियो को सम्मान देते है । इसी को
ध्यान रख युनो ने विमेन डे सुरु किया ||
५. हमारे पूर्वज निसर्ग पूजन को महत्व देते थे और निसर्ग के घटक हमे अच्छी जिंदगी गुजारने में सहायक होते है | इस को ध्यान में रखते हुए युनो ने इंविरोन्मेंट डे अर्थ डे सुरु किया तथा प्रणीयो का संवर्धन हेतू नियम बनाये
६ . आदिवासी परिवार को महत्व देता है | बच्चो को महत्व देता है | युनो ने फमिली डे चिल्ड्रेन डे सुरु किया, अपहीज हन्दिकेप व्यक्ती भी परिवार का अंग , होता है उसे सम्मान देना युनो ने आदिवासियो से सिखा |
७. आदिवसी कि भाषा संस्कृती ज्ञान के भंडार को विलुप्त होणे से बचाने हेतू युनोने विविध योजनां बनाई और इस साल युनो ने इंदिजीनास लँग्वेज / आदिवासी भाषा इस थीम को जाहीर किया है।
आईये हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर कला ज्ञान आनेवाली पिढियो के लिये संजोगने मे हाथ बटाते है
एक बार फिर आप सभी को
विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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