नालुंग पाठ - 4
कोया पुनेम के बंदनीय तत्वों को समझाते हुए गुरु विक्रमदेव ने कहा हे राजन सगा समाज, गोठूल, पेनकड़ा, पुनेम और मुठवा ये पाँच प्रमुख वंदनीय तत्व हैं जिनको मानकर सगा समाज की सेवा करना मनुष्य का परम कर्त्तव्य है। सम्पूर्ण सगा समाज बारह सगा शाखाओं में विभाजित है । सम-विषम गुण संस्कार धारक शाखाओं में जैसे -
(1) सगा - वैवाहिक संबंध प्रस्थापित करना ही प्रथम वन्दनीय तत्व है
(2) गोठूल - वह शिक्षा केन्द्र हैं, जिसमें बालक-बालिकाएँ शिक्षा प्राप्त कर सगा समाज की सेवा हमेशा करते रहते हैं। यह दूसरी बंदनीय तत्व है ।
(3) पेनकड़ा - यह वह शक्ति स्थल है, जहाँ परसा पेन शक्ति की उपासना की जाती है जो चराचर जगत की नियामक शक्ति परसा पेन है। जिसके (सल्ला गांगरा) तत्व रूपी शक्ति परसा पेन शक्ति को पेनकड़ा में सगाजनों द्वारा पूजा जाता है। यह तीसरा बन्दनीय तत्व है। मनुष्य की बौद्धिक शक्ति प्राकृतिक देन है। जिस प्रकार मनुष्य का मानसिक, बौद्धिक तथा शारीरिक विकास के साथ-साथ धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक है इसी तरह सगा पुय सर्री, सगा पारी सर्री, सगा सेवा सर्री, सगा मोद सर्री आदि है ।
पुनेम - सगाजनों की सेवा करने के लिये (मुन्द मुंशूल) वन्दीय सत्य मार्ग है। मुठवा कोया पुनेम का पालन कर उसकी जानकारी सगाजनों को देने वाला होता है।
(5) गुरु (मुठवा या भुमका) - की सेवा भी सगा समाज का वन्दनीय तत्व माना गया है । जिसके द्वारा सगा समाज को सद्ज्ञान प्राप्त होता है और धर्मार्थ कार्य करने में सफलता प्राप्त कर सिद्धि को प्राप्त करता है ।
"श्री फड़ापेन महाव्रत पूजा" चौथा पाठ समाप्त ॥ बोलो फड़ापेन की जय ॥
2. मूंद पाठ -3 ( सर्वोच्च शक्ति का आमंत्रण )
3. नालुंग पाठ - 4 ( कोया पुनेम के बंदनीय)
4. सांयुग पाठ -5 ( कथा माता कली कंकाली की)
5. सारूंग पाठ - 6 ( पारी कुपार लिंगो)
6. येसंग पाठ - 7 ( कपटी तांत्रिक और महाराज संग्राम शाह )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें