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👨🏻‍💼About Us

  About Us – Jai Seva Jai Bada Dev 🙏 नमस्कार! मैं श्याम ध्रुव, छत्तीसगढ़ से हूँ। मैंने गणित (Maths) में P.G. किया है और मेरा उद्देश्य अपने समाज, विशेष रूप से हमारे गोंड(कोया वंशीय) समाज के यथासंभव सुधार और जागरूकता में योगदान देना है। यह ब्लॉग — “ Jai Seva Jai Bada Dev ” — हमारी संस्कृति, परंपराओं और समाज के गौरवशाली इतिहास को एक नई दिशा देने का प्रयास है। यहाँ मैं गोंड समाज की धार्मिक मान्यताओं, देव-देवियों, गोत्रों, परंपराओं, कृषि पद्धतियों, और जीवनशैली पर लेख साझा करता हूँ, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ अपने मूल से जुड़ी रह सकें। मेरी हॉबीज़ (रुचियाँ) — 🏏 क्रिकेट, 💻 टेक्नोलॉजी, 🌿 आयुर्वेद, 🌞 आध्यात्मिकता, और 🤝 सोशल विषयों पर रिसर्च और लेखन करना शामिल है। मेरा मानना है कि समाज का असली विकास तभी संभव है जब हम अपनी जड़ों, ज्ञान और संस्कृति को समझें और उन्हें नई पीढ़ी तक पहुँचाएँ। यदि आप भी इस यात्रा में मेरे साथ जुड़ना चाहते हैं, तो आप अपने विचार और सुझाव ईमेल के माध्यम से साझा कर सकते हैं 👇 📩 dhruv00750@gmail.com जय सेवा जय बड़ा देव! — श्याम ध्रुव

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 Contact Us – Jai Seva Jai Bada Dev नमस्कार 🙏 आपका स्वागत है Jai Seva Jai Bada Dev ब्लॉग पर! यदि आपको हमारे लेखों से संबंधित कोई सुझाव, जानकारी साझा करनी हो, या आप अपने विचार हमारे साथ बाँटना चाहते हैं — तो आप नीचे दिए गए किसी भी माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम गोंड समाज, उसकी परंपराओं, संस्कृति, कृषि, आध्यात्मिकता और सामाजिक सुधार से जुड़े हर सकारात्मक विचार का स्वागत करते हैं। 📩 संपर्क के माध्यम: ✉️ Email: dhruv00750@gmail.com 🌐 Blog Name: Jai Seva Jai Bada Dev 📍 स्थान: छत्तीसगढ़, भारत आपका हर सुझाव हमारे लिए महत्वपूर्ण है — आपके विचार और प्रतिक्रिया ही हमें समाज के उत्थान और नई जानकारी साझा करने की प्रेरणा देते हैं। 🙏 “हम सब मिलकर समाज को ज्ञान और संस्कृति के प्रकाश से जोड़ें।” 🙏 — श्याम ध्रुव Founder & Author – Jai Seva Jai Bada Dev
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  🏹 जय सेवा 🏹 जय फड़ा पेन 🏹 राज करे गोंडवाना 🏹 Jai   Seva  Ja i   Fadaapen    जय   सेवा   जय   फड़ापेन         श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश । अंग बने  राजा  बने , सब उसी के अंग।। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उतपत्ति दियो पाँच गोत्र पांच कुल गुरु 25 पूजन कियो।। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो,समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश(रजोगुणी)    गोत्र: कुम्भ भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: नेताम, टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन: सोमवार और बुधवार ध्वजा का रंग: सफेद गढ़: लांजी गंग वंश को रजोगुण से जोड़कर देखा जाता है। इनकी सफेद ध्वजा पवित्रता और ईश्वर के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। गढ़ लांजी इस वंश का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है। 2. नागवंश (तमोगुणी )   गोत्र: कश्यप, पुलस्त भाइयों की संख्या: 7 भाइयों के नाम: मरइ, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम, सेवता, पंद्ररो, चान्द्रम पूज्य दिन: इतवार और शनिवार ध्वजा का रंग: लाल गढ़: मंड...

देवी दंतेश्वरी: शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक

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  देवी दंतेश्वरी: शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक राजा अन्नमदेव और देवी की स्थापना राजा अन्नमदेव के रुकने से स्थापित हुई देवी दंतेश्वरी की काले ग्रेनाइट से बनी छह भुजाओं वाली प्रतिमा अद्वितीय है। दंतेवाड़ा में स्थित यह षट्भुजी प्रतिमा न केवल अपनी नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता भी विशेष है। मूर्ति के दाएं हाथ में शंख, खड्ग, त्रिशूल और बाएं हाथ में घंटी, पद्य, राक्षस के बाल हैं। माँई का ऊपरी भाग नरसिंह अवतार का स्वरूप प्रदर्शित करता है। उनके सिर पर चांदी का छत्र है और वे वस्त्र व आभूषण से सुसज्जित हैं। मंदिर का वास्तु और संरचना मंदिर के द्वार पर दो द्वारपाल खड़े हैं, जिनके चार हाथ हैं। उनके बाएं हाथ में सर्प और दाएं में गदा है, और वे वरद मुद्रा में हैं। सिंह द्वार, जो 21 स्तंभों से युक्त है, इसकी पूर्व दिशा में दो सिंह विराजमान हैं। गर्भगृह में सिले हुए वस्त्र पहनकर प्रवेश प्रतिबंधित है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने गरुड़ स्तंभ है। यहां भगवान गणेश, विष्णु, शिव आदि की प्रतिमाएं भी विभिन्न स्थानों पर स्थापित हैं, जो इस स्थान की धार्मिक विवि...
 जय सेवा जय फड़ापेन श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश। अंग बने राजा बने, सब उसी के अंग। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उत्पत्ति दियो। पाँच गोत्र, पाँच कुल गुरु, 25 पूजन कियो। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो। समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश (रजोगुणी) गोत्र: कुम्भ भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: नेताम, टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन: सोमवार, बुधवार ध्वजा: सफेद गढ़: लांजी 2. नागवंश (तमोगुणी) गोत्र: कश्यप पुलस्त भाइयों की संख्या: 7 भाइयों के नाम: मरई, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम, सेवता, पंद्ररो, चांद्रम पूज्य दिन: रविवार, शनिवार ध्वजा: लाल गढ़: मंडला 3. चंद्रवंश (सतोगुणी) गोत्र: पुहुप भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: पोर्रे, पडोटी, पदाम, चचाम, कनेलकर पूज्य दिन: बृहस्पतिवार ध्वजा: हरा गढ़: बैरागढ़ 4. सूर्यवंश (तमोगुणी) गोत्र: कौशल, भारद्वाज, कौशिक, पालेश्वर भाइयों की संख्या: 18 भाइयों के नाम: कोर्राम, कुमार्रा, कतलाम, कुलाम, छेदईहा, अरकरा, कोटा, पायला, कमतरा, मैरा, तितराम, ओटी, नेटी, तुमरेकी, कोड़प्पा, कोटकोटा, छावड पूज्य दिन: मंगलवार ध्वजा: पीला ग...

गोंडी के 12 सूत्र: गोंड जनजाति की समृद्ध विरासत

  गोंडी के 12 सूत्र: गोंड जनजाति की समृद्ध विरासत गोंड जनजाति की संस्कृति और धर्म की गहराई को समझने के लिए गोंडी के 12 सूत्र बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये सूत्र न केवल उनके विश्वासों बल्कि दैनिक जीवन के रीति-रिवाजों को भी दर्शाते हैं। मुख्य बिंदु:  * प्रकृति पूजन: गोंड धर्म प्रकृति के साथ गहरा नाता रखता है।  * स्वतंत्र पहचान: हिंदू धर्म से भिन्न, गोंडों की अपनी विशिष्ट संस्कृति है।  * समानता: जातिगत भेदभाव से मुक्त समाज।  * पूर्वज पूजन: पेन पुरखा को पूजना उनकी परंपरा का हिस्सा है।  * महिला शक्ति: सीतला माता जागारानी महिलाओं का प्रतीक हैं।  * महुआ का महत्व: महुआ का रस धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होता है।  * परिक्रमा की दिशा: दाएं से बाएं की परिक्रमा एक विशेषता है।  * विवाह रीति-रिवाज: दूल्हा-दुल्हन के स्थान का निर्धारण एक परंपरा है।  * दहेज प्रथा का अभाव: विवाह में दी गई सामग्री को सहायता माना जाता है।  * सामूहिक श्रमदान: संस्कारों में पंडितों की जगह सामूहिक भागीदारी होती है।  * घोटुल: शिक्षा और संस्कृति का केंद्र।  * विवाह निय...

एक फसल जिसकी तेल की कीमत 15000 से 25000रु प्रति लीटर

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  जय जोहार सगा भाइयों हम बात कर रहें हैं   जिरेनियम की खेती (Geranium Cultivation) कर कर लोग कमायें लाखों रु. कमा रहें हैं। जिसमे कुछ हमारे आदिवासी भाई भी शामिल हैं। कुछ भाइयों को पहले से ही पता होगा और कुछ भाइयों ने देखी भी होगी। इस फसल की अच्छी बात ये है कि इसकी देखभाल, रखरखाव, तथा पेस्टिसाइड की जरूरत कम ही पड़ती है। जानवर, बन्दर भी नुकसान नहीं पहुचते।     मुझे सबसे अच्छी बात ये लगी कि इसकी फल, फूल, बीज नहीं बल्कि इसके पत्ते से तेल निकलती है।              हमारे देश के किसान आज-कल पारंपरिक खेती के साथ-साथ अपनी आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से मुनाफा कमाने वाली खेती की तरफ रुख कर चुके हैं। इसी कड़ी में जिरेनियम की खेती करके किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिरेनियम एक सुगंधित पौधा है और इसके फूल को गरीबों का गुलाब कहा जाता है। जिरेनियम के तेल की बाजार में काफी मांग है। इसका तेल औषधि बनाने के साथ ही और अन्य चीजों में इस्तेमाल होता है। इसके तेल में गुलाब जैसी खुशबू आती है। जिरेनियम के तेल उपयोग एरोमाथेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन, इ...

गोंड वंश की गोत्रावली

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  🏹 जय सेवा 🏹 जय फड़ा पेन 🏹 राज करे गोंडवाना 🏹 Jai   Seva  Ja i   Fadaapen    जय   सेवा   जय   फड़ापेन         श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश । अंग बने  राजा  बने , सब उसी के अंग।। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उतपत्ति दियो पाँच गोत्र पांच कुल गुरु 25 पूजन कियो।। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो,समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश(रजोगुणी)    गोत्र: कुम्भ भाइयों की संख्या: 4 भाइयों के नाम: नेताम, टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन: सोमवार और बुधवार ध्वजा का रंग: सफेद गढ़: लांजी गंग वंश को रजोगुण से जोड़कर देखा जाता है। इनकी सफेद ध्वजा पवित्रता और ईश्वर के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। गढ़ लांजी इस वंश का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है। 2. नागवंश (तमोगुणी )   गोत्र: कश्यप, पुलस्त भाइयों की संख्या: 7 भाइयों के नाम: मरइ, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम, सेवता, पंद्ररो, चान्द्रम पूज्य दिन: इतवार और शनिवार ध्वजा का रंग: लाल गढ़: मंड...

माता दंतेश्वरी और राजा अन्नम देव की कहानी

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राजा अन्नमदेव के रुकने से स्थापित हुई देवी                  काले ग्रेनाइट से बनी है छह भुजाओं वाली देवी  की  प्रतिमा  दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी की षट्भुजी काले ग्रेनाइट की मूर्ति अद्वितीय है। छह भुजाओं में दाएं हाथ में शंख, खड्ग, त्रिशूल और बाएं हाथ में घंटी, पद्य और राक्षस के बाल मांई धारण किए हुए हैं।                         यह मूर्ति नक्काशीयुक्त है और ऊपरी भाग में नरसिंह अवतार का स्वरुप है। मांई के सिर के ऊपर छत्र है जो चांदी से निर्मित है। वस्त्र आभूषण से अलंकृत है। द्वार पर दो द्वारपाल दाएं-बाएं खड़े हैं जो चार हाथ युक्त हैं।  जो अद्भुत और बहुत सुन्दर है।                        बाएं हाथ में सर्प और दाएं में गदा लिए द्वारपाल वरद मुद्रा में हैं। 21 स्तम्भों से युक्त सिंह द्वार के पूर्व दिशा में दो सिंह विराजमान हैं। यहां भगवान गणेश, विष्णु, शिव आदि की प्रतिमाएं विभिन्न स्थानों में स्थापित हैं। मं...

येसंग पाठ - 7 ( कपटी तांत्रिक और महाराज संग्राम शाह )

                           येसंग पाठ - 7                       बहुत पुरानी बात है कि महाराजा संग्राम शाह गोंडवाने के बावन गढ़ों की बागडोर सम्हालते हुए जब कल-कल बहती नर्मदा तट में बसा जबलपुर में स्थित गढ़ा कटंगा राज्य की गद्दी पर बैठा। जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। राज लोलुप्ता के कारण बाहर से आया हुआ एक महान तांत्रिक मदन महल की सघन पहाड़ी पर आकर भैरों बाबा की सेवा करते हुए योग साधना में लग गया।                      12 वर्ष तक तपस्या करने के बाद वह कपटी तांत्रिक पुजारी राजा संग्राम शाह से एकांत में बोला- हे राजन आप बहुत ही भाग्यशाली, समाजसेवी एवं पुण्यात्मा हैं। इसीलिये भैरों बाबा आप पर अत्याधिक प्रसन्न हैं। अब आप विशेष पूजा अनुष्ठान कर के भैरों बाबा से वरदान प्राप्त कर लें ।        परन्तु हे राजन इसके लिये आप मध्य रात्रि के समय ही अमावस्या की रात्रि को अकेले निःवस्त्र होकरबिना कोई अं...

सारूंग पाठ - 6

                      सारूंग पाठ - 6                               प्राचीन काल में माता कली कंकाली के 33 कोटी बच्चों से परेशान होकर शंभुशेक ने उन्हें कोयली कछार लोहागढ़ पर्वत गुफा में बारह वर्ष के लिये कैद की सजा सुनाकर उन्हें बंद कर दिया था।  उन्हें उचित मार्ग दर्शन दिलाने के लिये एक परम ज्ञानी महान बौद्धिक तत्ववेत्ता गुरु की आवश्यकता महसूस कर शंभुशेक ने पारी पटोर बिजलीपुरा के निवासी जालकादेव और उनकी  पत्नी हीरा देवी से उनका पुत्र जिसका नाम रूपोलंग था, उसे मांगना चाहा। एक दिन शंभुशेक जालकादेव के घर गये और उसे बताया कि हे जालकादेव तुम्हारा होनहार पुत्र बहुत ही भाग्यशाली और गुणवान है। जिसे मैं अत्यंत शक्तिशाली एवं कोया पुनेम (सगा समाज) का गुरु बनाना चाहता हूँ।                    जालकादेव और हीरा देवी शंभुशेक के भक्त थे जिसके कारण उनको पूरा विश्वास हो गया । उन्होंने अपने पुत्र को उनकी गोदी में सौंप दिय...