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🔆 ध्रुव गोंड गोत्र ज्ञान माला 🔆

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      श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश । अंग बने  राजा  बने , सब उसी के अंग।। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उतपत्ति दियो पाँच गोत्र पांच कुल गुरु 25 पूजन कियो।। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो,समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश (रजोगुणी)   गोत्र (कुम्भ)  भाइयों की संख्या =4 भाइयों के नाम - नेताम , टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन- सोमवार, बुधवार ध्वजा - सफेद   गढ़- लांजी 2.नागवंश (तमोगुणी )  गोत्र (कश्यप पुलस्त)  भाइयों की संख्या - 7 भाइयों के नाम- मरइ, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम , सेवता,पंद्ररो चान्द्रम पूज्य दिन - इतवार, शनिवार ध्वजा- लाल गढ़ - मंडला मैंने हाल ही में CashKaro.com को आजमाया है और इसकी अत्यधिक अनुशंसा करता हूं! आपको सभी रिटेलर छूट के शीर्ष पर अतिरिक्त कैशबैक मिलता है।  कोशिश करके देखो: - नीचे लिंक क्लिक करें👇 https://cashk.app.link/EPBv6mny3ob I recently tried CashKaro.com & highly recommend it! You get extra Cashback on top of all retaile...

🔅 आइये जानते हैं बड़ादेव व बुढ़ादेव कौन हैं 🔅

🔅 आइये जानते हैं बड़ादेव व बुढ़ादेव कौन हैं 🔅 बड़ादेव ⇨  प्रकृति शक्ति ( धरती🌍 ,आकाश🌃, जल💧, वायु💨, अग्नि🔥)  जो सर्वोच्च शक्ति⚡ है और सत्य है । इन्हे सभी मानते है चाहे अध्यात्म जगत के हो या चाहे विज्ञान जगत के। चाहे हिन्दू हो, मुसलमान, सिख ईसाई, बौद्ध, इस दुनिया मे सभी इंसान पंच तत्व को मानता ही है। और सभी जानते है कि हम सभी चराचर जगत के सभी इन्ही पंच तत्वों से मिलकर बना है।  यह सार्वभौमिक सत्य शक्ति ही बड़ादेव है। यह प्रकृति के सृजनकर्ता एवं संचालक हैं ।  बड़ादेव जिसे गोण्डवाना (कोया पुनेम)  में  जिसे सल्ला गांगरा कहते हैं ।  सल्ला गांगरा अर्थात् नर और मादा ।  अर्थात् उत्पन्न होने की शक्ति धन और ऋण आयन जो कि उपरोक्त पांच घटकों से बनता है।   इन शक्ति के बिना पृथ्वी में किसी भी जीव की उत्पति संभव नहीं है।  इसे होजोरपेन, सजोरपेन, फड़ापेन परसापेन  भी कहते हैं ।  इस पेन को सभी गोत्र के गोण्ड या अन्य गण भी अन्य नामों से मानते जानते हैं । इन्हे सभी मानते है चाहे अध्यात्म जगत के हो या चाहे विज्ञान जगत के। चाहे हिन...

ग्राम देवों मे प्रमुख में ठाकुर देव

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                                    ग्राम देवों मे प्रमुख में ठाकुर देव    नांगा बैगा-नांगा बैगिन के ७ पराक्रमी पुत्रों, जो सबसे बड़े पुत्र कुंआरा भिमाल की खोज में निकले थे, उनमे से एक ठाकुर देव (जाटवा) है. माना जाता है की ठाकुर देव बीज परीक्षण, भूमि उर्वरा परीक्षण, जल, कीट पतंगी गुण-धर्म के ज्ञाता थे,                             जिन्होंने ग्राम के मानव समुदाय को फसल जीवनचक्र के ज्ञान के द्वारा अधिक अन्न-धन उपजाकर समृद्धि हासिल करने का मार्ग बताया. इसलिए ग्राम देवी देवताओं की मान्यता अनुसार बिदरी मनाकर बीज सूत्र/बोए जाने वाले अन्न बीज का अंश चढाकर बीज की रक्षा, फसलों की कीट-पतंगों से रक्षा, भूमि उर्वरा, हवा, जल सान्द्रता/समन्वय आदि प्रकृतिगत वैधानिक रक्षा की कामना पूर्ति के लिए कृषि ग्राम जीवन में ठाकुर देव की पूजा की जाती है.                       ...

भगवान क्या है?

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  🔆 भगवान क्या है? 🔆 गोंड आदिवासी समाज बड़ादेव को "सल्ले" मातृशक्ति एवं "गंगरा" को पितृशक्ति के रूप में मानता है. इस आधार पर मातृशक्ति-पितृशक्ति अर्थात माता-पिता या उत्पत्तिकर्ता या पैदा करने वाला बड़ादेव है. चूंकि जीव के माता-पिता संतान पैदा करते हैं और संतान योनि से पैदा होते हैं, इसलिए संतान के लिए माता-पिता ही भगवान हैं. आदिवासी अपने माता-पिता की आत्मा को अपने घर में भगवान के रूप में स्थापित कर उनकी पूजा करता है. परिवार के द्वारा प्रतिदिन ग्रहण किए जाने वाले भोजन का प्रथम भोग उन्हें अर्पित करता है, उसके पश्चात ही वह स्वयं ग्रहण करता है. इसलिए आदिवासी समुदाय के लिए भगवान का और कोई स्वरूप नहीं है. दूसरे शब्दों में भगवान का अर्थ हर व्यक्ति जानता है- भग + वान = भगवान. भग अर्थात योनि, वान अर्थात चलाने वाला या निरंतरता बनाए रखने वाला या योनि से संतति उत्पन्न करने की शक्ति को बनाए रखने वाला "भगवान" है. इस तथ्य से माता-पिता ही भगवान हुए.            सम्पूर्ण आदिवासी समुदाय यह मानता है कि बड़ादेव द्वारा बनाए हुए प्रकृति के समस्त तत्व/संसाध...

बूढ़ादेव कौन हैं भाग -2

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                बूढ़ादेव कौन हैं भाग -2              देखने और सुनने में आता है कि आदिवासीजन बड़ादेव और बूढ़ादेव को एक ही देव मान लेते हैं. बड़ादेव और बूढ़ादेव के ज्ञान, मान्यता और महत्ता में में बहुत बड़ा फर्क है. मानव में एक ही अंग की कमी/फर्क के कारण समाज उसे पुरष नहीं मानता. उसी प्रकार बड़ादेव और बूढ़ादेव के स्थायित्व, सांस्कारिक और अध्यात्मिक दर्शन में बहुत बड़ा फर्क है. बड़ादेव के संबंध में पूर्व में उल्ले किया जा चुका है. बड़ादेव आदि और अनंतशक्ति का ध्योतक है, जिसकी शक्ति की कोई सीमा नहीं है. वह निराकार, सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी है. वह पुकराल/श्रृष्टि के रचयिता है. वह कण-कण में विराजमान है. देव-देवियों, पुकराल/श्रृष्टि एवं शरीर के प्रत्येक कण के अंश में बड़ादेव की शक्ति व्याप्त है. बड़ादेव से बड़ा और कोई देव/ईश्वर नहीं है. हमें बड़ादेव और बूढ़ादेव में अंतर को समझना होगा, अन्यथा हम अपने आने वाली पीढ़ी को इनकी संरचना/स्थायित्व, सांस्कारिक महत्व और अध्यात्मिक दर्शन का हस्तान्तरण नहीं कर पायेंगे. ...

गोंडी धर्म गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगो।

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गोंडी धर्म गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगो। कोया पुनेम तत्वज्ञान में (१) सगा (विभिन्न गोत्रज धारक समाज), (२) गोटूल (संस्कृति, शिक्षा केन्द्र), (३) पेनकड़ा (देव स्थल, ठाना), (४) पुनेम (धर्म) तथा (५) मुठवा (धर्म गुरु, गुरु मुखिया) यह पांच वंदनीय एवं पूज्यनीय धर्म तत्व हैं. इनमे से किसी एक की कमी से कोया पुनेम अपूर्ण ही रह जाता है. आदि महामानव पहांदी मुठवा पारी कुपार लिंगों ने अपने साक्षीकृत निर्मल सिद्ध बौद्धिक ज्ञान से सम्पूर्ण कोया वंशीय मानव समाज को सगायुक्त सामाजिक जीवन का मार्ग बताया. सगायुक्त सामाजिक जीवन के लिए उचित एवं अनुकूल व्यक्तित्व, नव वंश में निर्माण करने के उद्देश्य से पारी कुपार लिंगों ने "गोटूल" नामक शिक्षण संस्था की स्थापना की. गोटूल, यह संयुक्त गोंडी शब्द गो+टूल इन दो शब्दों के मेल से बना हुआ है. "गो" याने 'गोंगो' अर्थात दुःख एवं क्लेश निवारक शक्ति,  जिसे विद्या कहा जाता है. "टूल" याने ठीया, स्थान,स्थल. इस तरह गोटूल का मतलब गोंगोठाना (विद्या स्थल, ज्ञान स्थल) होता है. प्राचीन काल में गोंडवाना के प्रत्येक ग्राम में जहां गोंड वहा ...

ब्राह्मण विदेशी है प्रमाण !

ब्राह्मण विदेशी है  इसका प्रमाण 1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ । 2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है । 3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी। 4. वोल्गा टू गंगा में "राहुल सांस्कृतयान" (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए। 5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने "इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है। 6. इक़बाल "काश्मीरी पंडित " ने भी जिसने "सारे जहा से अच्छा" गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है। 7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पि...