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आदिवासी देव मूल संस्कृति

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आदिम समाज अपने संस्कारों में प्रकृति में व्याप्त समस्त संसाधनों, चार-आचार, तरल-ठोस, जीव-निर्जीव सभी को देव या देवी का अंश मानता है । संस्कारों के देवता, आदिम गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगों की मानव समाजिक संरचना में ७५० कुल गोत्र देव सगा घटक निर्धारित किया गया है । प्रत्येक ७५० कुल गोत्र देव सगा घटकों के लिए देव स्वरूप अलग-अलग कुलचिन्हों की मान्यता का व्यापक उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार प्रत्येक कुल गोत्रज समुदाय के लिए कुल चिन्ह के रूप में एक पशु, एक पक्षी एवं एक वनस्पति (झाड़ या पौधे) का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक माना गया है ।                       प्रत्येक कुलचिन्हधारी गोत्रज के लोगों को अपने कुल चिन्हों (एक पशु, एक पक्षी एवं वनस्पति) को छोड़कर शेष सभी पशु, पक्षी एवं वनस्पति का सेवन या भक्षण करने का अधिकार है । इस तरह आदिम समुदाय के ७५० गोत्र धारक प्रत्येक गोत्र के ३ कुलचिन्हो के हिसाब से एक ओर प्रकृति के २,२५० पशु-पक्षी, जीव-जंतु, वनस्पति का संरक्षण भी करते हैं तथा दूसरी ओर भक्षक भी होते है ।    ...

श्वास रोग और आंक का लाभकारी उपचार ।

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श्वास रोग पर आक के चमत्कारी प्रयोग श्वास रोग (दमा) आजकल की जीवनशैली में एक सामान्य समस्या बन गई है, जो वायु प्रदूषण, तनाव और गलत आहार के कारण बढ़ती जा रही है। इसके इलाज के लिए पारंपरिक औषधियों का सहारा लिया जाता है, और इनमें से एक प्रभावी औषधि है आक (अकाशी)। आक के पौधे का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है, खासकर श्वास रोग में। यहां हम आक के विभिन्न चमत्कारी प्रयोगों के बारे में जानेंगे, जो श्वास रोग को दूर करने में सहायक हो सकते हैं। 1. आक और काली मिर्च की गोलियां: आक के पत्ते और काली मिर्च का संयोजन श्वास रोग के इलाज में अत्यंत प्रभावी है। इसके लिए आक के पत्ते (1) और काली मिर्च (5-2) को खरल में अच्छी तरह पीसकर माष के दाने के समान गोलियां बनाएं। इन गोलियों को गर्म जल के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वास रोग दूर हो जाता है। छोटे बच्चों को केवल एक गोली दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता अलग होती है। यह उपाय कफ वाले दमे में विशेष रूप से लाभकारी होता है। 2. आक के जड़ का छिलका और अजवायन: आक के जड़ का छिलका (3 तोले), अजवायन (2 तोले), और पुराना गुड़ (5 तोले) को...

विभिन्न गोंडों की गोत्रावली आप की जानकारी हेतु

विभिन्न गोंडों की गोत्रावली आप की जानकारी हेतु               ध्रुव वंश गोत्रावली तीन देव:- सोरी, मरकाम, खुसरो चार देव :- नेताम, टेकाम, करियाम, सिंदराम. पांच देव :- पडोती, पद्राम, पुराम, किले, नहका, नमृर्ता छ: देव:- कतलाम, उइका, ओटी, कोर्राम, तुमरेकी, कोड़प्पा, कोमर्रा, कोहकटा, पट्टा, अरकरा, दराजी, सलाम, पुसाम, पावले, घावड़े, ततराम, जीर्रा, मातरा,गावडे़, कुमेटी, सात देव :- कुंजाम, सेवता, मरई (मंडावी), खुरश्याम, ताराम, पंद्रो, श्याम       मुख्य देवगढ़ तीन देव:- "धमधागढ़" चार देव:- "लांजीगढ़" पांच देव:- "बैरागढ़"        छ:देव:- "चांदागढ़" सात देव:- "मंडलागढ़" टीप:- यह गोत्र व्यवस्था दुर्ग, रायपुर, राजनांदगांव के प्लेन क्षेत्र में प्रचलित है..!!                माठिया गोंड यह बिलासपुर, रतनपुर एवं सरगुजा वनक्षेत्र में प्रचलित है:-  तीन देव:- धमधागढ़, शांडिल्य गोत्र बाघ बाना मरकाम, नेटी, खुसरो, सोरी, सिरसो, पोया चार देव:- रायसिंघोरागढ़, गोत्रगुरूप,बाना फुलेशर टेकाम, नेताम, आय...

तो राक्षस आप भी हो👺!

                      बैठक में टी.वी. चल रहा था, जिस पर रामायण आ रही थी। रामायण का यह लोकप्रिय धारावाहिक हमेशा से हमारे समाज और परंपराओं का आईना रहा है। मेरे मित्र अशोक यादव बहुत ध्यान से इसे देख रहे थे। जैसे ही एक दृश्य आया, जिसमें भगवान राम किसी राक्षस का वध करते हैं, अशोक यादव मुस्कुराते हुए बोले, "लो हो गया इस दैत्य 'राक्षस' का भी काम तमाम!" उनकी खुशी देखकर मैंने सहज ही पूछा, "अशोक जी, इतना खुश होने की क्या आवश्यकता है?" अशोक जी बोले, "मैं इसलिए खुश हूँ कि राम ने एक राक्षस का अंत कर दिया।" मैंने उनकी ओर देखते हुए कहा, "तो फिर इसमें खुश होने की क्या बात है? राक्षस तो आप भी हो।" मेरी बात सुनकर अशोक यादव हैरान रह गए। थोड़े गुस्से में बोले, "आपने हमें राक्षस क्यों कहा? हम राक्षस थोड़े ही हैं!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "अशोक जी, आप ही नहीं, बल्कि आपका बेटा भी राक्षस है।" अब तो अशोक जी गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने कहा, "हम आपकी इज्जत करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप हमारी सरेआम बेइज्जती करेंगे।" मैंने गंभीर...

भारत के अलावा अन्य देशों में ऐसा क्यूँ नही ?????

     क्या आप जानते हैं ? भारत में जो टेक्नोलॉजी थी वो किसी भी देश में नही थी। आप भी इस रहस्य को अपने बच्चों को जरूर बताएं । क्या आप जानते हैं? भारत में ऐसी प्राचीन मान्यताएं और कहानियां हैं, जो अद्वितीय और रहस्यमयी प्रतीत होती हैं। ये कहानियां पीढ़ियों से चली आ रही हैं और बच्चों को सुनाने के लिए आकर्षक हो सकती हैं: भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां इंसान की गर्दन में हाथी का सिर जोड़ा गया (गणेश कथा)। यहां एक कहानी है जिसमें मुख, भुजा, जंघा और पैर से एक बालक की उत्पत्ति हुई (पुराणों में वर्णित)। सूर्य को निगलने का किस्सा यहां प्रचलित है, और दुनिया को इसका पता भी नहीं चला (हनुमान कथा)। चूहे, पक्षी और शेर की सवारी केवल भारत की कहानियों में होती है। शरीर के मैल से विशेष तकनीक द्वारा बालक की उत्पत्ति की बात की गई (कर्ण की कथा)। पत्थर पानी में तैरते थे, जबकि गेंद डूब जाती थी (रामसेतु कथा)। भालू और बंदर भी पढ़े-लिखे माने गए (रामायण के पात्र)। है ना अद्भुत? इस रोचक संस्कृति को विश्व में प्रचारित करें, ताकि दूसरे देश भी इसके बारे में जान सकें। अंधविश्वास भगाओ, विज्ञान लाओ आज के...

SC/ST एक्ट क्या है ? किसी को डरने की जरूरत नहीं ।

 SC/ST एक्ट क्या है । कुछ लोगों को लगता है कि एक थप्पड़ मारने पर sc/st Act लग जाता है, इसे अधिकतर sc st के लोग भी नहीं जानते।  आइए जानते हैं कि किन-किन अपराधों के, लिए यह एक्ट लगता है।  ☀ 1. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के,  * सदस्यों को जबरन अखाद्य या घृणाजनक  * (मल मूत्र इत्यादि) पदार्थ खिलाना या  * पिलाना।  ☀2. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के,  * किसी सदस्य को शारीरिक चोट पहुंचाना या  * उनके घर के आस-पास या परिवार में उन्हें  * अपमानित करने या क्षुब्ध करने की,  * नीयत से कूड़ा-करकट, मल या  * मृत पशु का शव फेंक देना।  ☀3. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के,  * किसी सदस्य के शरीर से बलपूर्वक कपड़ा  * उतारना या उसे नंगा करके या उसके चेहरें पर  * पेंट पोत कर सार्वजनिक रूप में घुमाना या  * इसी प्रकार का कोई ऐसा कार्य करना जो  * मानव के सम्मान के विरूद्ध हो।  ☀4. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के,  * किसी सदस्य के भूमि प...

एक खत माहिसासुर की अर्न्तआत्मा से - -

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एक खत माहिसासुर की अर्न्तआत्मा से - - - - -   जय महिषासुर हमारे आदिवासी समाज की संस्कृति में महिलाओं का विशेष स्थान और अधिकार हमेशा सर्वोपरि रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी परंपरा ने महिलाओं को न केवल सम्मानित किया बल्कि उन्हें समाज में समानता का स्थान भी प्रदान किया। आदिवासी समाज ने यह सिद्ध किया है कि महिलाओं के प्रति सम्मान और स्वतंत्रता का विचार हमारे मूल्यों का अभिन्न हिस्सा है। हमारे पूर्वज, जिनके पास साधारण जीवन जीने की परंपरा थी, उनकी संस्कृति में महिलाओं के प्रति इतनी गहरी आदर भावना थी कि उन्होंने कभी किसी का अपमान नहीं किया। बलात्कार जैसी घटनाएं तो दूर, उन्होंने महिलाओं पर हाथ तक उठाने से हमेशा परहेज किया। हमारे महान जननायक माहिषासुर इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। माहिषासुर ने अपने आचरण और मूल्यों से यह साबित किया कि आदिवासी समाज महिलाओं को कितना महत्व देता है, चाहे वह अपना विरोधी ही क्यों न हो। हमारे त्योहार भी इस बात की गवाही देते हैं। उदाहरण के लिए, सोहराय त्योहार, जो एक कुंवारी लड़की के नाम पर सृजित किया गया था, महिलाओं के प्रति सम्मान और समर्पण को दर्शाता...