संदेश

एक सवाल " क्या आदिवासी (indigenous) इन्सान है?"

चित्र
  जोहार जोहार "International Day of the World's Indigenous Peoples" "विश्व आदिवसी दिवस " कि उपलब्धी पर  हार्दिक बधाईया तथा खूब सारी शुभकामनाए |                               आशा है इस उपलब्धी के अवसर पर सारे आदिवसी भाई बहन हर वर्ष कि तरह अपने अपने क्षेत्र मे अपनी सांस्कृतिक धरोहर विविध कार्यक्रमो के जरीये दुनियाके सामने प्रस्तुत करेंगे और अपनी ख़ुशी का इजहार करेंगे |                         आईये इस अवसर पर जानते है कि आखिर "International Day of the World's Indigenous Peoples " "विश्व आदिवसी दिवस " का इतिहास क्या है ?                 आगे बढने से पहले एक सवाल " क्या आदिवासी (indigenous) इन्सान है?"                                                         शायद यह पढ़ कर आ...

परम शक्ति फड़ापेन की कथा

 जयसेवा                                              जय गोंडवाना                 परम शक्ति फड़ापेन की कथा                             सर्वशक्तिमान बड़ादेव की सत्य कथा वाचन के पूर्व घर के मुख्य द्वार पर छुई या गोबर से लिपवा कर हल्दी या आटे से चौक पूर कर उसके ऊपर पटा रखकर उसके ऊपर ही सफेद कपड़ा बिछाना चाहिए ।                 फिर उसके ऊपर हल्दी की 5 गांठ, चांवल के दाने, साज के पत्ते रखना 1 चाहिए। उसी स्थान पर फड़ापेन के प्रतीक स्वरूप (खांडा या शंख) पूजा स्थल रखना चाहिए।        इसके बाद सर्वप्रथम बड़ादेव स्मरण कर घर के देवी देवताओं का नाम लेकर समस्त छोटे बड़े देवों का नाम लेकर जय-जय कार करें। फिर बड़ादेव जी की कथा प्रारम्भ करना चाहिए।                ॥ समर्थ - फड़ापेन...

कोया गोंडी धर्म के बारे में संक्षिप्त वर्णन।

माता कली कंकाली अर्थात जंगो रायतार माता के आश्रम के बारह पुत्र कालांतर में कोया पुनेम के आदि धर्म गुरु पहांदीपारी कुपार लिंगों के शिष्य बने । उनका देव सगा गोत्र विभाजन की प्रक्रिया ऐसा रहा-                                 सावरी (सेमर) वृक्ष के पत्तियों के गुट समूहानुसार और सूर्य माला के ग्रहों की रचनाधार पर क्रमशः उन्दाम, चिन्दाम, कोन्दाम, नाल्वेन, सैवेन, सार्वेन, येर्वेन, अर्वेन, नर्वेन, पदवेन, पार्वूद और पार्र्ड किया. प्रथम सात देव-सगा धारकों में सात सौ (७००) कुल गोत्र नाम है। कोआकाशी, शेंदरी, जामूनी, नीला, हरा, पीला, और लाल रंग का वस्त्र दिया और शेष पांच सगाओं (भूमक शाखा सगा) के केवल पचास (५०) कुल गोत्र नाम है, को सूर्य प्रकाशी (पुरवा तिरेपी) अर्थात सफेद रंग का वस्त्र दिया. अपने सभी शिष्यों को धर्म गुरु पारी कुपार लिंगों ने सगा-गोंगो बाना से सुसज्जित कर गोंएन्दाडी (गोंएंडी, गोंडी) भाषा में कोया पुनेम ज्ञान की दिव्य ज्योति दी । वे ही मूल मानव-समाज कालांतर में कोयावंशीय सगा-जगत के कुल-देवताएं अर्थात मू...

आदिवासी देव मूल संस्कृति

चित्र
आदिम समाज अपने संस्कारों में प्रकृति में व्याप्त समस्त संसाधनों, चार-आचार, तरल-ठोस, जीव-निर्जीव सभी को देव या देवी का अंश मानता है । संस्कारों के देवता, आदिम गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगों की मानव समाजिक संरचना में ७५० कुल गोत्र देव सगा घटक निर्धारित किया गया है । प्रत्येक ७५० कुल गोत्र देव सगा घटकों के लिए देव स्वरूप अलग-अलग कुलचिन्हों की मान्यता का व्यापक उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार प्रत्येक कुल गोत्रज समुदाय के लिए कुल चिन्ह के रूप में एक पशु, एक पक्षी एवं एक वनस्पति (झाड़ या पौधे) का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक माना गया है ।                       प्रत्येक कुलचिन्हधारी गोत्रज के लोगों को अपने कुल चिन्हों (एक पशु, एक पक्षी एवं वनस्पति) को छोड़कर शेष सभी पशु, पक्षी एवं वनस्पति का सेवन या भक्षण करने का अधिकार है । इस तरह आदिम समुदाय के ७५० गोत्र धारक प्रत्येक गोत्र के ३ कुलचिन्हो के हिसाब से एक ओर प्रकृति के २,२५० पशु-पक्षी, जीव-जंतु, वनस्पति का संरक्षण भी करते हैं तथा दूसरी ओर भक्षक भी होते है ।    ...

श्वास रोग और आंक का लाभकारी उपचार ।

चित्र
श्वास रोग पर आक के चमत्कारी प्रयोग श्वास रोग (दमा) आजकल की जीवनशैली में एक सामान्य समस्या बन गई है, जो वायु प्रदूषण, तनाव और गलत आहार के कारण बढ़ती जा रही है। इसके इलाज के लिए पारंपरिक औषधियों का सहारा लिया जाता है, और इनमें से एक प्रभावी औषधि है आक (अकाशी)। आक के पौधे का उपयोग आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है, खासकर श्वास रोग में। यहां हम आक के विभिन्न चमत्कारी प्रयोगों के बारे में जानेंगे, जो श्वास रोग को दूर करने में सहायक हो सकते हैं। 1. आक और काली मिर्च की गोलियां: आक के पत्ते और काली मिर्च का संयोजन श्वास रोग के इलाज में अत्यंत प्रभावी है। इसके लिए आक के पत्ते (1) और काली मिर्च (5-2) को खरल में अच्छी तरह पीसकर माष के दाने के समान गोलियां बनाएं। इन गोलियों को गर्म जल के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से श्वास रोग दूर हो जाता है। छोटे बच्चों को केवल एक गोली दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी शारीरिक क्षमता अलग होती है। यह उपाय कफ वाले दमे में विशेष रूप से लाभकारी होता है। 2. आक के जड़ का छिलका और अजवायन: आक के जड़ का छिलका (3 तोले), अजवायन (2 तोले), और पुराना गुड़ (5 तोले) को...

विभिन्न गोंडों की गोत्रावली आप की जानकारी हेतु

विभिन्न गोंडों की गोत्रावली आप की जानकारी हेतु               ध्रुव वंश गोत्रावली तीन देव:- सोरी, मरकाम, खुसरो चार देव :- नेताम, टेकाम, करियाम, सिंदराम. पांच देव :- पडोती, पद्राम, पुराम, किले, नहका, नमृर्ता छ: देव:- कतलाम, उइका, ओटी, कोर्राम, तुमरेकी, कोड़प्पा, कोमर्रा, कोहकटा, पट्टा, अरकरा, दराजी, सलाम, पुसाम, पावले, घावड़े, ततराम, जीर्रा, मातरा,गावडे़, कुमेटी, सात देव :- कुंजाम, सेवता, मरई (मंडावी), खुरश्याम, ताराम, पंद्रो, श्याम       मुख्य देवगढ़ तीन देव:- "धमधागढ़" चार देव:- "लांजीगढ़" पांच देव:- "बैरागढ़"        छ:देव:- "चांदागढ़" सात देव:- "मंडलागढ़" टीप:- यह गोत्र व्यवस्था दुर्ग, रायपुर, राजनांदगांव के प्लेन क्षेत्र में प्रचलित है..!!                माठिया गोंड यह बिलासपुर, रतनपुर एवं सरगुजा वनक्षेत्र में प्रचलित है:-  तीन देव:- धमधागढ़, शांडिल्य गोत्र बाघ बाना मरकाम, नेटी, खुसरो, सोरी, सिरसो, पोया चार देव:- रायसिंघोरागढ़, गोत्रगुरूप,बाना फुलेशर टेकाम, नेताम, आय...

तो राक्षस आप भी हो👺!

                      बैठक में टी.वी. चल रहा था, जिस पर रामायण आ रही थी। रामायण का यह लोकप्रिय धारावाहिक हमेशा से हमारे समाज और परंपराओं का आईना रहा है। मेरे मित्र अशोक यादव बहुत ध्यान से इसे देख रहे थे। जैसे ही एक दृश्य आया, जिसमें भगवान राम किसी राक्षस का वध करते हैं, अशोक यादव मुस्कुराते हुए बोले, "लो हो गया इस दैत्य 'राक्षस' का भी काम तमाम!" उनकी खुशी देखकर मैंने सहज ही पूछा, "अशोक जी, इतना खुश होने की क्या आवश्यकता है?" अशोक जी बोले, "मैं इसलिए खुश हूँ कि राम ने एक राक्षस का अंत कर दिया।" मैंने उनकी ओर देखते हुए कहा, "तो फिर इसमें खुश होने की क्या बात है? राक्षस तो आप भी हो।" मेरी बात सुनकर अशोक यादव हैरान रह गए। थोड़े गुस्से में बोले, "आपने हमें राक्षस क्यों कहा? हम राक्षस थोड़े ही हैं!" मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "अशोक जी, आप ही नहीं, बल्कि आपका बेटा भी राक्षस है।" अब तो अशोक जी गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने कहा, "हम आपकी इज्जत करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि आप हमारी सरेआम बेइज्जती करेंगे।" मैंने गंभीर...