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अप्रैल, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

🔆 ध्रुव गोंड गोत्र ज्ञान माला 🔆

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      श्यामजी वर्णन कियो, ध्रुव राजा के वंश । अंग बने  राजा  बने , सब उसी के अंग।। पांच अंश से पांच विधी वंशाली उतपत्ति दियो पाँच गोत्र पांच कुल गुरु 25 पूजन कियो।। पाँच कुल की पाँच भूमि सनातन श्री मुखी कहि गयो,समय हीन चारो वर्ण को धर्म में आचरण कियो। 1. गंग वंश (रजोगुणी)   गोत्र (कुम्भ)  भाइयों की संख्या =4 भाइयों के नाम - नेताम , टेकाम, सेन्द्राम, करियाम पूज्य दिन- सोमवार, बुधवार ध्वजा - सफेद   गढ़- लांजी 2.नागवंश (तमोगुणी )  गोत्र (कश्यप पुलस्त)  भाइयों की संख्या - 7 भाइयों के नाम- मरइ, कुंजाम, खुड़श्याम, श्याम , सेवता,पंद्ररो चान्द्रम पूज्य दिन - इतवार, शनिवार ध्वजा- लाल गढ़ - मंडला मैंने हाल ही में CashKaro.com को आजमाया है और इसकी अत्यधिक अनुशंसा करता हूं! आपको सभी रिटेलर छूट के शीर्ष पर अतिरिक्त कैशबैक मिलता है।  कोशिश करके देखो: - नीचे लिंक क्लिक करें👇 https://cashk.app.link/EPBv6mny3ob I recently tried CashKaro.com & highly recommend it! You get extra Cashback on top of all retaile...

🔅 आइये जानते हैं बड़ादेव व बुढ़ादेव कौन हैं 🔅

🔅 आइये जानते हैं बड़ादेव व बुढ़ादेव कौन हैं 🔅 बड़ादेव ⇨  प्रकृति शक्ति ( धरती🌍 ,आकाश🌃, जल💧, वायु💨, अग्नि🔥)  जो सर्वोच्च शक्ति⚡ है और सत्य है । इन्हे सभी मानते है चाहे अध्यात्म जगत के हो या चाहे विज्ञान जगत के। चाहे हिन्दू हो, मुसलमान, सिख ईसाई, बौद्ध, इस दुनिया मे सभी इंसान पंच तत्व को मानता ही है। और सभी जानते है कि हम सभी चराचर जगत के सभी इन्ही पंच तत्वों से मिलकर बना है।  यह सार्वभौमिक सत्य शक्ति ही बड़ादेव है। यह प्रकृति के सृजनकर्ता एवं संचालक हैं ।  बड़ादेव जिसे गोण्डवाना (कोया पुनेम)  में  जिसे सल्ला गांगरा कहते हैं ।  सल्ला गांगरा अर्थात् नर और मादा ।  अर्थात् उत्पन्न होने की शक्ति धन और ऋण आयन जो कि उपरोक्त पांच घटकों से बनता है।   इन शक्ति के बिना पृथ्वी में किसी भी जीव की उत्पति संभव नहीं है।  इसे होजोरपेन, सजोरपेन, फड़ापेन परसापेन  भी कहते हैं ।  इस पेन को सभी गोत्र के गोण्ड या अन्य गण भी अन्य नामों से मानते जानते हैं । इन्हे सभी मानते है चाहे अध्यात्म जगत के हो या चाहे विज्ञान जगत के। चाहे हिन...

ग्राम देवों मे प्रमुख में ठाकुर देव

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                                    ग्राम देवों मे प्रमुख में ठाकुर देव    नांगा बैगा-नांगा बैगिन के ७ पराक्रमी पुत्रों, जो सबसे बड़े पुत्र कुंआरा भिमाल की खोज में निकले थे, उनमे से एक ठाकुर देव (जाटवा) है. माना जाता है की ठाकुर देव बीज परीक्षण, भूमि उर्वरा परीक्षण, जल, कीट पतंगी गुण-धर्म के ज्ञाता थे,                             जिन्होंने ग्राम के मानव समुदाय को फसल जीवनचक्र के ज्ञान के द्वारा अधिक अन्न-धन उपजाकर समृद्धि हासिल करने का मार्ग बताया. इसलिए ग्राम देवी देवताओं की मान्यता अनुसार बिदरी मनाकर बीज सूत्र/बोए जाने वाले अन्न बीज का अंश चढाकर बीज की रक्षा, फसलों की कीट-पतंगों से रक्षा, भूमि उर्वरा, हवा, जल सान्द्रता/समन्वय आदि प्रकृतिगत वैधानिक रक्षा की कामना पूर्ति के लिए कृषि ग्राम जीवन में ठाकुर देव की पूजा की जाती है.                       ...

भगवान क्या है?

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  🔆 भगवान क्या है? 🔆 गोंड आदिवासी समाज बड़ादेव को "सल्ले" मातृशक्ति एवं "गंगरा" को पितृशक्ति के रूप में मानता है. इस आधार पर मातृशक्ति-पितृशक्ति अर्थात माता-पिता या उत्पत्तिकर्ता या पैदा करने वाला बड़ादेव है. चूंकि जीव के माता-पिता संतान पैदा करते हैं और संतान योनि से पैदा होते हैं, इसलिए संतान के लिए माता-पिता ही भगवान हैं. आदिवासी अपने माता-पिता की आत्मा को अपने घर में भगवान के रूप में स्थापित कर उनकी पूजा करता है. परिवार के द्वारा प्रतिदिन ग्रहण किए जाने वाले भोजन का प्रथम भोग उन्हें अर्पित करता है, उसके पश्चात ही वह स्वयं ग्रहण करता है. इसलिए आदिवासी समुदाय के लिए भगवान का और कोई स्वरूप नहीं है. दूसरे शब्दों में भगवान का अर्थ हर व्यक्ति जानता है- भग + वान = भगवान. भग अर्थात योनि, वान अर्थात चलाने वाला या निरंतरता बनाए रखने वाला या योनि से संतति उत्पन्न करने की शक्ति को बनाए रखने वाला "भगवान" है. इस तथ्य से माता-पिता ही भगवान हुए.            सम्पूर्ण आदिवासी समुदाय यह मानता है कि बड़ादेव द्वारा बनाए हुए प्रकृति के समस्त तत्व/संसाध...

बूढ़ादेव कौन हैं भाग -2

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                बूढ़ादेव कौन हैं भाग -2              देखने और सुनने में आता है कि आदिवासीजन बड़ादेव और बूढ़ादेव को एक ही देव मान लेते हैं. बड़ादेव और बूढ़ादेव के ज्ञान, मान्यता और महत्ता में में बहुत बड़ा फर्क है. मानव में एक ही अंग की कमी/फर्क के कारण समाज उसे पुरष नहीं मानता. उसी प्रकार बड़ादेव और बूढ़ादेव के स्थायित्व, सांस्कारिक और अध्यात्मिक दर्शन में बहुत बड़ा फर्क है. बड़ादेव के संबंध में पूर्व में उल्ले किया जा चुका है. बड़ादेव आदि और अनंतशक्ति का ध्योतक है, जिसकी शक्ति की कोई सीमा नहीं है. वह निराकार, सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी है. वह पुकराल/श्रृष्टि के रचयिता है. वह कण-कण में विराजमान है. देव-देवियों, पुकराल/श्रृष्टि एवं शरीर के प्रत्येक कण के अंश में बड़ादेव की शक्ति व्याप्त है. बड़ादेव से बड़ा और कोई देव/ईश्वर नहीं है. हमें बड़ादेव और बूढ़ादेव में अंतर को समझना होगा, अन्यथा हम अपने आने वाली पीढ़ी को इनकी संरचना/स्थायित्व, सांस्कारिक महत्व और अध्यात्मिक दर्शन का हस्तान्तरण नहीं कर पायेंगे. ...

गोंडी धर्म गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगो।

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गोंडी धर्म गुरु पहांदी पारी कुपार लिंगो। कोया पुनेम तत्वज्ञान में (१) सगा (विभिन्न गोत्रज धारक समाज), (२) गोटूल (संस्कृति, शिक्षा केन्द्र), (३) पेनकड़ा (देव स्थल, ठाना), (४) पुनेम (धर्म) तथा (५) मुठवा (धर्म गुरु, गुरु मुखिया) यह पांच वंदनीय एवं पूज्यनीय धर्म तत्व हैं. इनमे से किसी एक की कमी से कोया पुनेम अपूर्ण ही रह जाता है. आदि महामानव पहांदी मुठवा पारी कुपार लिंगों ने अपने साक्षीकृत निर्मल सिद्ध बौद्धिक ज्ञान से सम्पूर्ण कोया वंशीय मानव समाज को सगायुक्त सामाजिक जीवन का मार्ग बताया. सगायुक्त सामाजिक जीवन के लिए उचित एवं अनुकूल व्यक्तित्व, नव वंश में निर्माण करने के उद्देश्य से पारी कुपार लिंगों ने "गोटूल" नामक शिक्षण संस्था की स्थापना की. गोटूल, यह संयुक्त गोंडी शब्द गो+टूल इन दो शब्दों के मेल से बना हुआ है. "गो" याने 'गोंगो' अर्थात दुःख एवं क्लेश निवारक शक्ति,  जिसे विद्या कहा जाता है. "टूल" याने ठीया, स्थान,स्थल. इस तरह गोटूल का मतलब गोंगोठाना (विद्या स्थल, ज्ञान स्थल) होता है. प्राचीन काल में गोंडवाना के प्रत्येक ग्राम में जहां गोंड वहा ...

ब्राह्मण विदेशी है प्रमाण !

ब्राह्मण विदेशी है  इसका प्रमाण 1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ । 2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है । 3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी। 4. वोल्गा टू गंगा में "राहुल सांस्कृतयान" (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए। 5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने "इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है। 6. इक़बाल "काश्मीरी पंडित " ने भी जिसने "सारे जहा से अच्छा" गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है। 7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पि...

दशानन रावण " गोंडी भाषा में रावण यानि राजा को कहा जाता है ......

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दशानन रावण " गोंडी भाषा में रावण यानि राजा को कहा जाता है .. ......" दशानन रावण "......गोंडी भाषा में रावण यानि राजा को कहा जाता है .. विभिन्न देशों में पूजनीय दस रावण :- 01 . कई रावण ...... लँका 02 .बसेरावण ..... ईराक 03 . तहिरावण .... ईरान 04 . कहिरावण ....मिश्र इजिप्ट  05 .दहिरावण ... सऊदी अरब 06 . अहिरावण ... अफ्रीका 07. महिरावण ... क्रोएसिया 08 .इसाहिरावण ... इस्राइल 09 .बहिरावण ... भूमध्य सागर 10 . मेरावण ...... आर्मेनिया ये सब गौँड़ राजा थे । रावण पुतला दहन का विरोध ब्राह्मणोँ ने कभी नहीँ किया जब्कि  रावणपेन को पूजने वाले में मनुवादियों के अतिरिक्त  सारणा, सैंथाल, द्राविङ व गोंड-धर्म के आदिवासी,व कुछ अनुसूचित जातियों के अलावा कुछ ओबीसी के  लोग भी करते हैँ ।... ...किसी मित्र ने सवाल खडा किया है कि रावण गोंड आदिवासी  है या ब्राम्हण? कई मित्र रावण को ब्राम्हण साबित करने मेँ लगे हुए  हैँ। अच्छा होता अगर ये सवाल शंकराचार्य जैसे लोगो से पूछा जाये। अगर रावण ब्राम्हण होता तो हिँदू धर्म के पोषक बामन बनिया और एंटिनाधारी तथा राखी सावंत से ज्य...

गोंडी" में पढ़े जाने वाले शब्द "वेन" और "पेन" केवल दो अक्षरों से मिलकर बने सबसे छोटे शब्द हैं, किन्तु इनके ज्ञान गर्भ में छुपे सामाजिक, सांस्कृतिक, आस्था और आध्यात्मिक दर्शन की सीमाएं

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                          सम्पूर्ण गोंडवाना के आदिम वंश, समुदाय "वेन" और "पेन" संस्कृति/ दर्शन का वाहक है. गोंड आदिम समुदाय की निज भाषा "गोंडी" में पढ़े जाने वाले शब्द "वेन" और "पेन" केवल दो अक्षरों से मिलकर बने सबसे छोटे शब्द हैं, किन्तु इनके ज्ञान गर्भ में छुपे सामाजिक, सांस्कृतिक, आस्था और आध्यात्मिक दर्शन की सीमाएं सृष्टि की तरह विशाल और अटल है. "वेन" और "पेन" के सम्बन्ध में समाज के अनेक दार्शनिक, भाषाविद, विज्ञानियों ने विस्तारपूर्वक सार्थक उपदेश दिए हैं, देते हैं, जो अनमोल हैं.                           हम यह मानते हैं कि "गोंडी" के बगैर "गोंड" और "गोंडवाना" को समझना आसान नहीं है. समय की निरंतरता के साथ मानव पीढ़ियों के आने और बीत जाने तथा नयी पीढ़ी की अभिरुचि में कमी के कारण पीढ़ीगत चली आ रही प्राचीन भाषाओं के नैसर्गिक हस्तांतरण के पैतृक विधा का तेजी से विलोपन हो रहा है. इस प्राचीन भाषा के विलोपन के लिए हमारी हर पिछली पीढ़ियाँ जिम्मेदार हैं, ऐसा कहकर हम अप...

गोंडी धर्म क्या है ?

गोंडी धर्म क्या है  गोंडी धर्म क्या है ( यह दूसरे धर्मों से किन मायनों में जुदा है , इसका आदर्श और दर्शन क्या है ) अक्सर इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। कई सवाल सचमुच जिज्ञाशा का पुट लिए होते हैं और कई बार इसे शरारती अंदाज में भी पूछा जाता है, कि गोया तुम्हारा तो कोई धर्मग्रंथ ही नहीं है, इसे कैसे धर्म का नाम देते हो ? तो यह ध्यान आता है कि इसकी तुलना और कसौटी किन्हीं पोथी पर आधारित धर्मों के सदृष्य बिन्दुवार की जाए। सच कहा जाए तो गोंडी एक धर्म से अधिक आदिवासियों के जीने की पद्धति है जिसमें लोक व्यवहार के साथ पारलौकिक आध्यमिकता या आध्यात्म भी जुडा हुआ है। आत्म और परआत्मा या परम आत्म की आराधना लोक जीवन से इतर न होकर लोक और सामाजिक जीवन का ही एक भाग है। धर्म यहॉं अलग से विशेष आयोजित कर्मकांडीय गतिविधियों के उलट जीवन के हर क्षेत्र में सामान्य गतिविधियों में संलग्न रहता है। गोंडी धर्म अनुगामी प्राकृतिक का पूजन करता है। वह घर के चुल्हा, बैल, मुर्गी, पेड, खेत खलिहान, चॉंद और सूरज सहित सम्पूर्ण प्राकृतिक प्रतीकों का पूजन करता है। वह पेड काटने के पूर्व पेड से क्षमा याचना करता है। गाय ...

गोंडवाना गणराज्य के शासक जिन पर हमें गर्व है।

गोंडवाना गणराज्य और  शासक (1) वृत्तासुर, 2)भारत, 3)शम्बर, (4)बानासुर, 5)महिसासुर, 6)बंगासुर (7)महात्मा रावन, (8)मयासुर गोंडी शिल्पकार, (9) गढ मंडला के राजघराने:- 1)यदुराय मडावी - 358 ई. 2)माधोसिंग मडावी(पुत्र )-362 ई. 3)जगन्नाथ 'पुत्र '- 395 ई.  4)रघुनाथ 'पुत्र ' - 420 ई. 5)रुद्रदेव - 485 ई. 6)बिहारीसिंह - 512 ई. 7)नरसिंह देव - 543 ई. 8)सुरजभान  - 576 ई. 9)वासुदेव - 605 ई. 10)गोपालसिंह -623 ई. 11)भोपालसिंह - 644 ई. 12)गोपीनाथ - 654 ई. 13)रामचंद्र -691ई. 14)सुरताजसिंह - 704 ई. 15)हरिदेव - 733 ई. 16)किसनदेव - 750 ई. 17) जगतसिंह - 764 ई. 18)महासिंह - 773 ई. 19)दुर्जनमाल - 769 ई. 20)जासकरण - 815 ई. 21)प्रतापदिप - 851ई. 22)यशचंद्रा - 875 ई. 23)मनीहरसिंह - 889ई. 24)गोविंदसिंह - 918 ई. 25)रामचंद्र - 2 - 943 ई. 26)करणराज - 964 ई. 27)रतनसेन - 980 ई. 28)कमलनयन - 1001 ई. 29)बिरसिंह - 1031 ई. 30)नरसिंहदेव - 2 - 1038 ई. 31)तिरुभूवन - 1064 ई. 32)पुरुथीराज - 1092 ई. 33)भारतेन्र्द - 1113 ई. 34)मदनसिंह - 1135 ई. 35)उग्रसेन - 1155 ई. 36)रामसि...

गोंडी धर्म में रिश्ते और नातों का अनूठा विज्ञान

गोंडी धर्म में रिश्ते और नातों का अनूठा विज्ञान गोंड धर्म में रिश्ते और नातों की परंपरा अत्यधिक रोचक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। यह न केवल सामाजिक संरचना को मजबूत करता है, बल्कि जैविक और स्वास्थ्य दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसमें गोत्र (सरनेम) और पेन (देव) के आधार पर विवाह और रिश्तों की परिभाषा तय की गई है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं। गोत्र और पेन (देव) की परिभाषा गोंड धर्म में हर गोत्र (सरनेम) के साथ एक विशेष पेन (देव) जुड़ा होता है। यह पेन 1 से 12 तक की संख्या में होते हैं। सम और विषम देव: सम देव: 2, 4, 6, 8, 10, 12 वाले पेन। इन्हें सम गोत्र कहा जाता है। सम गोत्र वाले लोग आपस में भाई-बहन माने जाते हैं। इनका आपस में विवाह संभव नहीं होता। विषम देव: 3, 5, 7, 9, 11 वाले पेन। इन्हें विषम गोत्र कहा जाता है। विषम गोत्र वाले लोग भी आपस में भाई-बहन माने जाते हैं। इनका भी आपस में विवाह संभव नहीं होता। विवाह की परंपरा गोंड धर्म में विवाह सम और विषम गोत्र के लोगों के बीच ही होता है। इसका आधार निम्नलिखित है: सम गोत्र (2, 4, 6, 8, 10, 12) के लोग विषम गोत्र (3, 5, 7, 9, 11) के लोगों ...

गोंडी धर्म के 12 नियम।

गोंडी के 12 सूत्रों के बारे में बता रहे हैं ⇨ 1. गोंड का प्राकृतिक धर्म गोंडी हैं । 2. गोंड का कोई भी रीति रिवाज दूसरो से नहीं मिलता हैं । 3. हिन्दू व्यवस्था में ब्राहमण,क्षत्रिय वेश्य, शूद्र हैं गोंड में नहीं। 4. हिन्दू के पितर गोंड के भीतर पेन पुरखा माई घरो में होता हैं।  5. ग्राम प्रमुख माता जिम्मेदारिन गोंडी बोली में सीतला माता जागारानी कहलाती हैं। 6. हमारे पेन पुरखा में खून की सेवा, महुआ फूल का रस चढ़ता हैं दूसरो में नहीं। 7. धरती पृथ्वी की परिक्रमा दायें से बाएं होता हैं गोंड आदिवासियों के सभी भांवर मड्ई पेन दांग जतरा लग्न दायाँ से बायाँ ही होता हैं। 8. शादी में लड़की बायाँ और लड़का दाहिना में और लग्न में भी दुल्हा आगे और लड़की पीछे होती हैं। 9. माता पिता द्वारा विवाह में लड़की को दिया गया सामान नवगृहस्ती के लिए सहयोग होता हैं समझौता नहीं यह दहेज़ व्यवस्था में नहीं आएगा। 10. जन्म, विवाह, मृत्यु सभी संस्कार श्रमदान द्वारा सम्पन्य होता हैं पंडित द्वारा नहीं। 11. घोटुल अर्थात गो+टूल गो का अर्थ गोंगो अर्थ क्लेश निवारण शक्ति विद्या और टूल मतलब टिकाना | गोटुल ज्ञान ...